हर वर्ष 26 नवंबर को देशभर में संविधान दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का वह महत्वपूर्ण अवसर है, जब 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकृत किया था। इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के नाम एक भावुक और प्रेरणादायक चिट्ठी लिखी। इस पत्र में उन्होंने न केवल संविधान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की, बल्कि अपने निजी राजनीतिक सफर और उन अनुभवों को भी साझा किया, जिन्होंने संविधान के महत्व को उनके जीवन में और गहरा किया।
संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि देते हुए, प्रधानमंत्री ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और कई जानी-मानी महिला सदस्यों को याद किया, जिनके विजन ने संविधान को बेहतर बनाया। उन्होंने संविधान की 60वीं सालगिरह के दौरान गुजरात में संविधान गौरव यात्रा और इसकी 75वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में संसद के स्पेशल सेशन और देश भर में हुए प्रोग्राम जैसे मील के पत्थरों पर बात की, जिनमें रिकॉर्ड पब्लिक पार्टिसिपेशन देखा गया।
“मुझ जैसा साधारण व्यक्ति प्रधानमंत्री बना… यह संविधान की शक्ति”
अपने पत्र के सबसे भावुक हिस्से में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राजनीतिक सफर को याद करते हुए लिखा कि यह भारतीय संविधान की महानता ही है, जिसने “उन जैसे एक साधारण और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से आने वाले व्यक्ति को 24 साल से अधिक समय तक सरकार का नेतृत्व करने का अवसर दिया।” यह पंक्ति न केवल उनके जीवन का अनुभव है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की अनूठी क्षमता का भी प्रतीक है।
मोदी ने बताया कि वर्ष 2014 के वे क्षण आज भी उनकी स्मृतियों में ताज़ा हैं, जब वे पहली बार सांसद के रूप में संसद भवन पहुंचे थे। उन्होंने लोकतंत्र के इस “सबसे बड़े मंदिर” की सीढ़ियों को छूकर सिर झुकाया था। यह उनके लिए केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के प्रति उनके गहरे सम्मान का प्रतीक था।
बता दें कि., प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संविधान दिवस पर लिखा गया पत्र भारतीय लोकतंत्र के प्रति गर्व, आभार और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस पत्र में उन्होंने संविधान की शक्ति को अपने जीवन के अनुभवों के माध्यम से समझाया और बताया कि यह दस्तावेज हर भारतीय को सशक्त बनाता है। संविधान दिवस के इस अवसर पर प्रधानमंत्री का संदेश न केवल नागरिकों को प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें संविधान के महत्व, उसकी विरासत और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी याद दिलाता है।
