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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शुक्रवार सुबह तीन दिन की यात्रा पर दक्षिण अफ्रीका रवाना हुए हैं। उनका उद्देश्य मुख्य रूप से G20 के 20वें शिखर सम्मेलन में भाग लेना है, जो कि इस वर्ष पहली बार अफ्रीकी महाद्वीप पर आयोजित हो रहा है। इस विशिष्ट सम्मेलन की मेजबानी जोहान्सबर्ग (साउथ अफ्रीका) कर रहा है, जो इस आयोजन को एक नए ऐतिहासिक मुकाम पर ले जा रही है।

मोदी ने कहा- यह शिखर सम्मेलन प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का एक अवसर होगा। इस वर्ष के जी-20 का विषय ‘एकजुटता, समानता और स्थिरता’ है, जिसके माध्यम से दक्षिण अफ्रीका ने नई दिल्ली, भारत और रियो डी जेनेरियो, ब्राजील में आयोजित पिछले शिखर सम्मेलनों के परिणामों को आगे बढ़ाया है।

समिट का महत्त्व

इस साल के G20 का विषय “Solidarity, Equality and Sustainability” (एकजुटता, समानता और स्थिरता) रखा गया है, जिसे दक्षिण अफ्रीकी अध्यक्षता ने पिछले शिखर सम्मेलनों- भारत (2023) और ब्राजील (2024)- की तर्ज पर आगे बढ़ाया है।यह इस बात का संकेत है कि वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उदाहरणतः, इस समिट में खाद्य सुरक्षा, आपदा जोखिम-कमी, न्‍यायसंगत उर्जा संक्रमण, तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे विषय मुख्य एजेंडा पर हैं

जानकारी दे दें कि , यह मोदी की साउथ अफ्रीका की चौथी आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले वे 2016 में द्विपक्षीय यात्रा पर गए थे और 2018 एवं 2023 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों के लिएइस तरह देखा जाए तो यह यात्रा भारत-साउथ अफ्रीका संबंधों में गहराई और रणनीतिक साझेदारी का संकेत देती है।

अमेरिका का बायकॉट

इस साल की समिट को एक अन्य मोड़ मिला है: डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समिट का बायकॉट किया है। अमेरिका से इस शिखर सम्मेलन में किसी भी अधिकारी का भाग नहीं लेने का निर्णय लिया गया है।ट्रम्प ने यह आरोप लगाया है कि साउथ अफ्रीका अपने देश में सफेद किसान (अफ़्रीकैनर्स) के साथ भेदभाव कर रहा है, जिसे दक्षिण अफ्रीकी नेतृत्व ने खारिज किया है।इस स्थिति ने समिट की वैश्विक पृष्ठभूमि को और जटिल बना दिया है क्योंकि अमेरिकी उपस्थिति का अभाव प्रमुख अर्थशास्त्रों और विश्व राजनीति में असर डाल सकता है।

बता दें कि, प्रधानमंत्री मोदी की साउथ अफ्रीका की यह यात्रा सिर्फ एक सम्मेलन-शिरोभाग के लिए नहीं है, बल्कि यह भारत की वैश्विक भूमिका, रणनीतिक संबंधों और विकास-केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाती है। इस यात्रा के माध्यम से भारत न सिर्फ G20 के मंच पर अपनी आवाज उठाने जा रहा है, बल्कि यह यह दिखा रहा है कि विविध वैश्विक चुनौतियों के समाधान में भारत कैसे सहायक भूमिका निभा सकता है।

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