भारत की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है और कृषि की सबसे बड़ी जीवन रेखा है मानसून। इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून ने समय से पहले, यानी 23 मई को केरल में दस्तक दी। सामान्यत: मानसून 1 जून को शुरू होता है, लेकिन इस बार जल्दी आने से किसानों और ग्रामीण भारत की उम्मीदें बढ़ गई हैं। मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान जताया है कि इस साल औसत से बेहतर, करीब 105% बारिश हो सकती है। यह अनुमान किसानों, ग्रामीण उपभोक्ताओं और उद्योग जगत सभी के लिए उत्साहजनक है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस साल 23 मई को केरल में समय से पहले दस्तक दी, जिससे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह की लहर दौड़ गई। सामान्य तौर पर 1 जून को शुरू होने वाला मानसून इस बार जल्दी आया, जो कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। भारत की एक बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, और मानसून का सीधा असर फसलों, रोजगार और ग्रामीण बाजारों में खरीदारी पर पड़ता है। आइए अर्थशास्त्री डॉ. शरद कोहली से जानते हैं कि इस बार मानसून का क्या असर भारत के ग्रामीण बाजार पर होने वाला है।
बता दें कि, समय से पहले आया मानसून भारत के किसानों और ग्रामीण बाजार के लिए आशा की किरण है। अगर बारिश संतुलित रही तो खरीफ फसलों की पैदावार अच्छी होगी, ग्रामीण आय बढ़ेगी और उपभोक्ता खपत में उछाल आएगा। इससे एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल, इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य उद्योगों को सीधा लाभ मिलेगा।
वही, ग्रामीण भारत आज सिर्फ खेती का केंद्र नहीं है, बल्कि यह एक उभरता हुआ उपभोक्ता बाजार बन चुका है। सरकारी योजनाएं, डिजिटलीकरण और समय से पहले आया मानसून मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति दे सकते हैं। हालांकि, इसके लिए संतुलित नीतियों और जलवायु से जुड़ी चुनौतियों से निपटने की तैयारी जरूरी है।