नई दिल्ली। महाराष्ट्र में 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए उस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिसमें बारह आरोपियों को बरी किया गया था।
गौरतलब हैं कि, 1 जुलाई 2006 को मुंबई की सात लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। शाम के व्यस्त समय में हुए इन धमाकों ने पूरे देश को हिला दिया था। इस घटना में कुल 189 लोगों की जान गई थी, जबकि 800 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह भारत के इतिहास में हुए सबसे भयावह आतंकवादी हमलों में से एक माना जाता है।
बता दें कि, इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वॉड) ने कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया था। वर्ष 2015 में मुंबई की विशेष अदालत ने इनमें से 12 को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस ताजा आदेश से एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि आतंकवाद जैसे मामलों में सबूतों की कमी या अभियोजन पक्ष की कमजोर दलीलों के चलते गंभीर आरोपों से छूट कैसे मिल जाती है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि बरी किए गए आरोपियों की कानूनी स्थिति क्या होगी।