नई दिल्ली, अक्टूबर का महीना सरसों की बुवाई के लिहाज से सबसे अहम माना जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर किसान 10 से 30 अक्टूबर के बीच सरसों की अगेती बुवाई करें और उन्नत किस्मों का चयन करें, तो उन्हें प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल तक की उपज मिल सकती है। यह किसानों की आमदनी बढ़ाने और देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
सरसों का महत्व
सरसों भारत में प्रमुख तिलहनी फसलों में से एक है। इसका उपयोग सिर्फ तेल उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी खली पशुओं के चारे के रूप में भी काम आती है। साथ ही सरसों का तेल घरेलू उपयोग के अलावा निर्यात के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत में खाद्य तेलों की बढ़ती मांग को देखते हुए सरसों की खेती किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रही है।
उत्पादन बढ़ाने के वैज्ञानिक सुझाव
IARI के वैज्ञानिक किसानों को सलाह देते हैं कि:
- समय पर बुवाई (10 से 30 अक्टूबर) करना चाहिए।
- अच्छी तरह तैयार और समतल खेत में बुवाई से बीज अंकुरण और फसल की वृद्धि बेहतर होती है।
- सिंचाई का प्रबंधन बेहद जरूरी है, क्योंकि सरसों की फसल को शुरुआती दिनों में नमी की आवश्यकता होती है।
- फसल की सुरक्षा के लिए समय-समय पर रोग और कीटों की निगरानी करनी चाहिए।
- संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का प्रयोग करना चाहिए।
बता दें कि, सरसों की खेती भारत के कृषि तंत्र में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की उन्नत किस्में किसानों को न केवल बेहतर उपज देती हैं, बल्कि बाजार में उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाती हैं। अक्टूबर महीने में अगेती बुवाई करने से फसल को मौसम का पूरा लाभ मिलता है, जिससे न केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि गुणवत्ता भी बेहतर रहती है।
