नई दिल्ली दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट (स्पेशल जज विशाल गोगने) ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग की जांच और अभियोजन के लिए शेड्यूल्ड ऑफेंस (मूल अपराध) की FIR अनिवार्य है।
मल्लिकार्जुन खरगे (कांग्रेस अध्यक्ष): प्रेस कॉन्फ्रेंस में खरगे ने इसे “सत्य की जीत” बताया और कहा कि मामला सिर्फ गांधी परिवार को परेशान करने के लिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांगते हुए कहा, “यह फैसला उनके मुंह पर तमाचा है। वे इस्तीफा दें क्योंकि ऐसे लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए।”केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस महासचिव): कहा कि केंद्र सरकार ED का दुरुपयोग कर विपक्ष को निशाना बनाती है। कांग्रेस सड़कों पर इस “बदले की राजनीति” को बेनकाब करेगी।
मामले की पृष्ठभूमि
- आरोप: कांग्रेस ने AJL (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड, नेशनल हेराल्ड प्रकाशक) को 90 करोड़ का लोन दिया, जिसे यंग इंडियन (गांधी परिवार की कंपनी) ने 50 लाख में अधिग्रहित कर लिया। ED का दावा: इससे AJL की 2000 करोड़+ की संपत्तियां गलत तरीके से हस्तांतरित हुईं, जो मनी लॉन्ड्रिंग है।
- शुरुआत: सुब्रमण्यम स्वामी की निजी शिकायत से।
- हालिया विकास: दिल्ली पुलिस ने अक्टूबर 2025 में नई FIR दर्ज की, लेकिन कोर्ट ने कहा कि पुरानी ED शिकायत उस पर आधारित नहीं थी।
बता दें कि, यह फैसला गांधी परिवार को बड़ी राहत देता है, लेकिन मामला पूरी तरह खत्म नहीं हुआ—ED के पास अपील और नई शिकायत के रास्ते खुले हैं। विभिन्न स्रोतों (द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, NDTV) से मिली जानकारी के आधार पर यह तकनीकी आधार पर राहत है, मेरिट पर फैसला नही
