शारदीय नवरात्रि 2025 की धूम पूरे भारत में देखने को मिल रही है। यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि शक्ति, श्रद्धा और भक्ति का भी अनूठा संगम है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन उनकी व्रत कथा का पाठ करना अत्यंत शुभ फल प्रदान करता है और बिना कथा सुने या पढ़े पूजा अधूरी मानी जाती है।
मां कुष्मांडा का स्वरूप और महत्व
मां कुष्मांडा को सृष्टि की आद्यशक्ति माना गया है। मान्यता है कि मां ने अपनी हल्की मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना की थी। ‘कुश’ का अर्थ है छोटा, ‘अंड’ का अर्थ है ब्रह्मांड और ‘मा’ का अर्थ है मां। इस प्रकार मां कुष्मांडा वह शक्ति हैं जिन्होंने अपनी मुस्कान मात्र से अनंत ब्रह्मांड का सृजन किया।
बता दें कि, शारदीय नवरात्रि 2025 का चौथा दिन मां कुष्मांडा की पूजा को समर्पित है। मान्यता है कि बिना उनकी व्रत कथा सुने या पढ़े पूजा अधूरी रहती है। मां कुष्मांडा की आराधना से भक्तों को सुख-समृद्धि, आरोग्य, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में नई दिशा मिलती है। सूर्य लोक की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा की कृपा से जीवन का अंधकार मिटता है और उजाले का संचार होता है।