समाचार मिर्ची

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काठमांडू: नेपाल एक बार फिर से बड़े राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल का गवाह बन रहा है। प्रधानमंत्री केपी ओली की सरकार द्वारा फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और X (पूर्व ट्विटर) समेत 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद देशभर में आक्रोश भड़क गया है। सबसे ज्यादा नाराज़गी Gen-Z पीढ़ी में देखने को मिल रही है। यही वजह है कि युवाओं का आंदोलन अब सड़कों से संसद तक पहुंच चुका है।

नेपाल की केपी ओली की सरकार द्वारा फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और X जैसे 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद पूरे देश में गुस्सा फूट पड़ा है.

जानकारी दें दे कि, नेपाल का Gen-Z सड़क पर उतर आया है, संसद में घुस गया है, आंदोलन कर रहा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान अब तक 14 लोगों की मौत हो गई है. नेपाल एक बार फिर खुद को असामान्य वजह से ही सही लेकिन बड़े आंदोलन के बीच खड़ा देख रहा है. इस बार आंदोलन की बागडोर युवाओं ने अपने हाथों में संभाल रखी है. नेपाल की केपी ओली सरकार द्वारा फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और X जैसे 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद पूरे देश में गुस्सा फूट पड़ा है. सरकार ने जैसे ही युवाओं को रील बनाने से रोका है, युवा सड़क पर उतरकर रियल सवाल पूछने लगे हैं, भ्रष्टाचार की बात करने लगे हैं, नौकरी कहां है वाला सवाल करने लगे हैं. सरकार को सेना उतारनी पड़ी है, कर्फ्यू लगाना पड़ा है.

बता दें कि, नेपाल में भारी बवाल हो रहा हैं , नेपाल की केपी ओली की सरकार द्वारा फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और X जैसे 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद पूरे देश में गुस्सा फूट पड़ा है.

नेपाल सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा कि सभी विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों को 7 दिनों के भीतर नेपाल में रजिस्ट्रेशन करना था। ऐसा न करने पर उन पर प्रतिबंध लगाया गया। लेकिन युवाओं का कहना है कि यह कदम सरकार का “आवाज दबाने का प्रयास” है।

दरअसल, नेपाल की 18–30 वर्ष की यह नई पीढ़ी सोशल मीडिया पर न केवल मनोरंजन और जानकारी के लिए निर्भर है बल्कि बिजनेस, स्टार्टअप और स्किल डेवलपमेंट में भी इसका इस्तेमाल करती है। जब सरकार ने अचानक बैन लगाया, तो यह उनकी आज़ादी और रोज़गार पर सीधा प्रहार माना गया।

सरकार का पक्ष

नेपाल सरकार का कहना है कि –

  • यह फैसला “राष्ट्रीय सुरक्षा” को ध्यान में रखकर लिया गया है।
  • विदेशी सोशल मीडिया कंपनियां देश में रजिस्ट्रेशन नहीं कर रही थीं और डेटा प्रोटेक्शन का पालन नहीं कर रही थीं।
  • सरकार ने कहा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करती है, लेकिन देश पहले है और उससे कोई समझौता नहीं होगा।

बता दें कि, नेपाल में सोशल मीडिया बैन ने युवाओं के बीच एक नई राजनीतिक चेतना को जन्म दिया है। सरकार जहां इसे सुरक्षा और नियमों का मुद्दा बता रही है, वहीं युवा इसे अपनी आज़ादी और भविष्य से जुड़ा मान रहे हैं। आने वाले दिनों में यह टकराव नेपाल की राजनीति और समाज के लिए बड़े बदलाव की नींव साबित हो सकता है।

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