नेपाल एक बार फिर गहरे राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है। हाल ही में हुए Gen Z आंदोलन ने देश की सत्ता की बागडोर को पूरी तरह से हिला दिया। इस आंदोलन ने न केवल प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को गिरा दिया बल्कि सेना और राजनीतिक नेतृत्व के बीच टकराव की गहराई को भी उजागर कर दिया। सबसे चौंकाने वाली खबर यह रही कि जब ओली ने हिंसक प्रदर्शन के बीच अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना से हेलीकॉप्टर की मांग की, तब सेना प्रमुख ने उनसे स्पष्ट शर्त रखी—पहले प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दीजिए, तभी हेलीकॉप्टर मिलेगा।
रिपोर्ट के अनुसार नेपाली सेना की सुरक्षा में नौ दिन बिताने के बाद अपदस्थ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सेना की बैरक को छोड़कर एक निजी स्थान पर चले गए हैं.
जब Gen Z का विरोध हिंसक हो गया था, ओली सेना बैरक में चले गए थे, शायद काठमांडू के उत्तर में शिवपुरी वन क्षेत्र में उन्होंने जगह ली थी. नेपाल सेना की सुरक्षा में नौ दिन बिताने के बाद केपी ओली अब एक निजी स्थान पर चले गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार नेपाल सेना के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है. हालांकि, अब वह कहां रहेंगे, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है.
बता दें कि, नेपाल की राजनीति में सेना का प्रभाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। हालांकि संविधान के अनुसार सेना लोकतांत्रिक व्यवस्था के अधीन है, लेकिन संकट की घड़ी में उसकी भूमिका निर्णायक हो जाती है। नेपाली पोर्टल उकेरा की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि जब ओली ने हिंसक प्रदर्शनों के बीच हेलीकॉप्टर की मांग की तो सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने स्पष्ट किया कि हेलीकॉप्टर तभी मिलेगा जब वह प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देंगे।
सुशीला कार्की बनीं अंतरिम प्रधानमंत्री
ओली सरकार के पतन के बाद नेपाल ने एक नया अध्याय देखा। देश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। यह नेपाल के राजनीतिक इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि पहली बार किसी महिला न्यायाधीश को इस तरह अंतरिम नेतृत्व सौंपा गया है।
नेपाल की राजनीति पिछले दो दशकों से अस्थिरता का सामना कर रही है। राजशाही का अंत, माओवादी आंदोलन, नए संविधान का निर्माण और अब यह नया संकट—इन सबने देश को बार-बार अस्थिर किया है। ओली का इस्तीफा यह दर्शाता है कि राजनीतिक व्यवस्था युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप खुद को ढालने में विफल रही। आने वाले दिनों में अंतरिम सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी
बता दें कि, नेपाल का यह संकट केवल सत्ता परिवर्तन की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस संघर्ष का प्रतीक है जिसमें जनता, सेना और राजनीतिक नेतृत्व तीनों अपनी-अपनी भूमिका तलाश रहे हैं। ओली का इस्तीफा और सेना की शर्त ने यह स्पष्ट कर दिया कि नेपाल में लोकतंत्र अभी भी संक्रमणकाल से गुजर रहा है।
ओली के खिलाफ युवाओं का विद्रोह
नेपाल में लंबे समय से बेरोज़गारी, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता ने जनता को निराश किया है। खासकर Gen Z कही जाने वाली युवा पीढ़ी, जो सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों से जुड़ी हुई है, इस बार सड़क पर उतर आई। उनका आंदोलन अचानक इतना व्यापक हो गया कि सरकार को संभलने का मौका ही नहीं मिला।
ओली सरकार के पतन के बाद नेपाल ने एक नया अध्याय देखा। देश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। यह नेपाल के राजनीतिक इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि पहली बार किसी महिला न्यायाधीश को इस तरह अंतरिम नेतृत्व सौंपा गया है।
जानकारी दे दें कि, नेपाल की राजनीति पिछले दो दशकों से अस्थिरता का सामना कर रही है। राजशाही का अंत, माओवादी आंदोलन, नए संविधान का निर्माण और अब यह नया संकट—इन सबने देश को बार-बार अस्थिर किया है। ओली का इस्तीफा यह दर्शाता है कि राजनीतिक व्यवस्था युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप खुद को ढालने में विफल रही। आने वाले दिनों में अंतरिम सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी।