ओडिशा के बलांगीर जिले से उगाया गया जैविक ड्रैगन फ्रूट लगातार दूसरे साल दुबई के बाजार तक पहुंच गया है। यह न केवल राज्य के किसानों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि ओडिशा के कृषि और बागवानी क्षेत्र के लिए भी एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है। इस सफलता ने राज्य को वैश्विक कृषि-बाजार में प्रतिस्पर्धी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाया है।
कृषि एवं कृषक सशक्तिकरण विभाग (डीएएंडएफई) कई योजनाओं और पहलों के जरिये से किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. विभाग की तरफ से मॉर्डन टेक्निक्स, उपज को इकट्ठा
“यह बलांगीर और ओडिशा दोनों के लिए गर्व का क्षण है। जैविक रूप से उगाए गए ड्रैगन फ्रूट का लगातार दूसरी बार दुबई को सफल निर्यात, उच्च मूल्य वाली, बाजार-आधारित बागवानी में हमारे राज्य की बढ़ती ताकत को दर्शाता है। यह केवल एक मील का पत्थर नहीं, बल्कि इस बात का संकेत है कि ओडिशा गुणवत्ता, सस्टेनेबिलिटी और इनोवेशन को अपने मूल में रखते हुए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है।”
बागवानी निदेशक का दृष्टिकोण
ओडिशा के बागवानी निदेशक सुब्रत कुमार पांडा ने कहा,
“दो साल तक सफल निर्यात उच्च-मूल्य वाली बागवानी में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए ओडिशा की तैयारी को दर्शाता है। बलांगीर तेजी से विदेशी फलों की खेती के केंद्र के रूप में उभर रहा है और यह बाकी क्षेत्रों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है।”
निर्यात से किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिल रहा है। प्रति किलो 300 रुपये की कीमत पर, यह फल पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना ज्यादा मुनाफा देता है। इससे न केवल उनकी आय बढ़ रही है, बल्कि उन्हें उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती के लिए प्रेरणा भी मिल रही है।
दुबई को ओडिशा के ड्रैगन फ्रूट का निर्यात केवल एक व्यापारिक उपलब्धि नहीं, बल्कि यह भारत के कृषि क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है। बलांगीर के किसानों ने साबित किया है कि मेहनत, आधुनिक तकनीक और सरकारी सहयोग के दम पर भारतीय किसान भी वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।