नई दिल्ली। भारतीय संसद के मानसून सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत-पाकिस्तान तनाव पर चर्चा ने तूल पकड़ लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार दावे कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में मध्यस्थता की, को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में सिरे से खारिज कर दिया। जयशंकर ने विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देते हुए साफ कहा, “22 अप्रैल से 17 जून 2025 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई फोन कॉल नहीं हुई।” इस बयान ने न सिर्फ ट्रंप के दावों की हवा निकाल दी, बल्कि विपक्ष को भी करारा जवाब दिया, जो इस मुद्दे को बार-बार उठाकर सरकार पर निशाना साध रहा था।
ट्रंप का दावा और विपक्ष का हंगामा
पिछले कुछ हफ्तों में डोनाल्ड ट्रंप ने कम से कम 22 बार सार्वजनिक मंचों पर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष को रोकने के लिए मध्यस्थता की और दोनों देशों को व्यापार की धमकी देकर युद्धविराम कराया। ट्रंप ने यह भी कहा कि संघर्ष के दौरान “पांच भारतीय जेट गिराए गए” और उनकी वजह से दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच युद्ध टल गया। इन दावों ने भारतीय संसद में हंगामा खड़ा कर दिया, जहां विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए कि क्या भारत ने अमेरिकी दबाव में युद्धविराम स्वीकार किया, जो शिमला समझौते और भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के खिलाफ है।
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने तो यहां तक कह डाला, “डोनाल्ड ट्रंप को चुप कराओ, वरना भारत में मैकडॉनल्ड बंद कराओ!” विपक्षी नेता प्रियंका गांधी ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए पूछा कि जयशंकर ने ट्रंप की मध्यस्थता पर स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं की।
जयशंकर का करारा जवाब
लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने विपक्ष के सभी आरोपों को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं सभापति से अनुरोध करता हूं कि विपक्ष से कहें, कान खोलकर सुनें—22 अप्रैल से 17 जून तक प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। अमेरिका के साथ किसी भी चर्चा में व्यापार या मध्यस्थता का कोई जिक्र नहीं था।” जयशंकर ने साफ किया कि भारत ने अपनी आतंकवाद-विरोधी नीति के तहत पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) के जवाब में 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।