पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में अफगान शरणार्थियों और अफगानिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। अपने एक इंटरव्यू में आसिफ ने साफ कहा कि पाकिस्तान में रह रहे सभी अफगानी नागरिकों को अपने देश लौटना होगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान की जमीन 25 करोड़ अपने नागरिकों के लिए आरक्षित है और विदेशी शरणार्थियों का बोझ वह नहीं उठा सकता। उनका यह बयान अफगान शरणार्थियों और भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही राजनीतिक और कूटनीतिक बहस में नई हलचल पैदा कर सकता है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान और वहां रहने वाले अफगानों को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि पाकिस्तान में रह रहे अफगानी नागरिकों को अपने देश लौटना होगा। उनका कहना है कि पाकिस्तान की जमीन 25 करोड़ अपने नागरिकों के लिए है, और उन लोगों का भार वह नहीं उठा सकता। ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि अगर अफगानिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर भारत इतना ही सहयोग कर सकता है, तो अफगानी शरणार्थियों की जिम्मेदारी भारत को लेनी चाहिए।
अफगानी महिलाओं और बच्चों पर तटस्थ रुख
ख्वाजा आसिफ के बयान में अफगानी महिलाओं और बच्चों के बारे में कोई स्पष्ट नीति नहीं बताई गई। जब उनसे सवाल किया गया कि तालिबान शासन से डरकर जिन महिलाओं और बच्चों को अफगानिस्तान लौटने में डर है, क्या उन्हें पाकिस्तान में राहत मिलेगी, तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध पहले भी अच्छे नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में सत्ता बदलने पर पाकिस्तान को क्यों झेलना चाहिए।
भारत पर आरोप और तालिबान से जुड़े बयान
ख्वाजा आसिफ ने भारत पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अफगान तालिबान के फैसले दिल्ली से लिए जा रहे हैं। उनका यह भी दावा है कि भारत अफगानिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध में सक्रिय रूप से शामिल है। जियो न्यूज से बातचीत में आसिफ ने कहा, “अगर पाकिस्तान को उकसाया गया तो हम सैन्य कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हमारे पास जवाब देने की पूरी क्षमता है।”
ख्वाजा आसिफ के बयान ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर नई बहस छेड़ दी है। पाकिस्तान की यह सख्त नीति अफगान शरणार्थियों के भविष्य को अस्थिर कर सकती है, जबकि भारत के लिए भी यह चुनौती बन सकती है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता और मानवीय जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए।