लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग द्वारा हरियाणा और महाराष्ट्र की वर्षों की मतदाता सूची साझा किए जाने के कथित निर्णय पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने जहां एक ओर निर्वाचन आयोग के इस कदम को “पहला अच्छा कदम” करार दिया, वहीं दूसरी ओर सवाल भी खड़ा किया कि आखिर इस डाटा को सार्वजनिक करने की “सटीक तारीख” क्या होगी। बता दें कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ साझा करते हुए यह बात कहीं
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से किया बडे़ सवाल राहुल गांधी ने लिखा, “मतदाता सूची सौंपने के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाया गया पहला अच्छा कदम है। क्या चुनाव आयोग सटीक तारीख की घोषणा कर सकता है, जब तक यह डेटा सौंप दिया जाएगा?”
उनके इस बयान से एक बार फिर चुनावी पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर बहस छिड़ गई है, जिसमें विपक्ष चुनाव आयोग से अधिक पारदर्शिता और समयबद्ध डेटा रिलीज की मांग करता आया है।
दरसल एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चुनाव आयोग (ECI) ने 2009 से लेकर 2024 तक की हरियाणा और महाराष्ट्र की मतदाता सूची का डाटा साझा करने का रास्ता साफ कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में आयोग ने वर्ष 2024 की शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था कि डेटा साझा किया जाएगा।
हालांकि, अब तक चुनाव आयोग की ओर से इस पर कोई औपचारिक वक्तव्य जारी नहीं किया गया है। न ही यह स्पष्ट किया गया है कि यह डेटा कब और कैसे सार्वजनिक किया जाएगा।
राहुल गांधी और कांग्रेस लंबे समय से यह मुद्दा उठाते आए हैं कि बीते विधानसभा और लोकसभा चुनावों में निष्पक्षता पर संदेह है। विशेषकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के संदर्भ में कांग्रेस ने धांधली के आरोप लगाए थे और निर्वाचन आयोग से स्पष्टीकरण मांगा था इस मुद्दे पर चुनाव आयोग ने रविवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक संवैधानिक निकाय है और वह तभी आधिकारिक प्रतिक्रिया देगा जब उसे औपचारिक रूप से कोई पत्र प्राप्त होगा।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि उन्होंने सभी छह राष्ट्रीय दलों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था, जिनमें से पांच दलों के नेता अधिकारियों से मिले भी थे। लेकिन कांग्रेस ने 15 मई को प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दिया था।
चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर उठ रहे सवाल
चुनाव आयोग की भूमिका लोकतंत्र में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में विपक्षी दलों ने बार-बार आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी या कांग्रेस ने ECI से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की हो।
राहुल गांधी का सवाल इस बात को रेखांकित करता है कि आयोग को केवल वादा करने से आगे बढ़कर ठोस समयसीमा के साथ कार्यवाही करनी चाहिए। उनके अनुसार, जब तक स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई जाती, तब तक इस कदम की प्रामाणिकता अधूरी मानी जाएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद बीजेपी नेताओं की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ नेताओं ने कहा कि कांग्रेस “जनादेश न मिलने की निराशा” में इस तरह के बयान देकर निर्वाचन आयोग की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है।
हालांकि, विपक्ष का तर्क है कि लोकतंत्र में सवाल पूछना उनका संवैधानिक अधिकार है और चुनाव आयोग जैसे संस्थान को भी जवाबदेह रहना चाहिए।
इस मुद्दे पर राजनीतिक गर्मी बढ़ती जा रही है। सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग निकट भविष्य में इस डेटा को सार्वजनिक करेगा? और यदि करेगा तो किस स्वरूप में और किन माध्यमों से?
वहीं हम आपको .े भी बताते चले कि, कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग को औपचारिक पत्र लिख सकती है और संभावित कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर रही है।
ऐसे समय में जब चुनावी सुधारों की जरूरत महसूस की जा रही है, यह मुद्दा केवल कांग्रेस या बीजेपी का नहीं, बल्कि हर मतदाता और लोकतंत्र के हितधारक का है। अब देखना होगा कि चुनाव आयोग कब तक इस मुद्दे पर स्पष्टता लाता है और पारदर्शिता के लिए ठोस कदम उठाता है या नहीं।