बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभेरी बज चुकी है, पर महागठबंधन (Grand Alliance / INDIA Bloc) के अंदर सीट-बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान तेज होती जा रही है। इस तनाव की गहराई का आईना दिखाती है हाल ही में कांग्रेस की उच्चस्तरीय बैठक — जिसमें राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और संगठनात्मक महासचिव केसी वेणुगोपाल शामिल थे।
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी और खड़गे की यह मुलाकात महागठबंधन में सीटों के उचित वितरण और सम्मानजनक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने पर केंद्रित थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, VIP (विकासशील इंसान पार्टी) और लेफ्ट दलों की मांगें इस शेयरिंग वार्ता को और जटिल बना रही हैं। विश्लेषकों के अनुसार, VIP प्रमुख मुकेश सहनी की सख्त सीट-दावेदारी ने कांग्रेस-RJD सौदे को और पटरी से भटका दिया है।
गठबंधन में बढ़ता तनाव: RJD और कांग्रेस के बीच मतभेद
हालांकि गठबंधन की तरफ से यह दावा किया गया है कि बैठक को सकारात्मक माहौल में आयोजित किया गया, पर सीट बंटवारे की मसले पर अंदरूनी दरारें सतह पर आ रही हैं। ख़ास रूप से, आरजेडी (RJD) के नेताओं में यह भावना है कि कांग्रेस अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर ज़्यादा उत्सुक है, जबकि कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि वह सिर्फ “सम्मानजनक सीटों” की ही उम्मीद कर रही है।
RJD के अंदर यह विचार भी है कि कांग्रेस की संगठन-शक्ति बिहार में उतनी मजबूत नहीं रही है जितनी एक बड़े खिलाड़ी को होनी चाहिए, और इस लिहाज से आरजेडी खुद को गठबंधन का नेतृत्वकर्ता महसूस करती है।
दिल्ली और पटना: संगठनात्मक दबाव बढ़ा
महत्वपूर्ण यह है कि यह बैठक सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रही। कांग्रेस की CWC (Working Committee) ने पटना में भी बैठक की थी, जहां बिहार के रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई — सिर्फ सीट शेयरिंग नहीं, बल्कि गठबंधन की चुनावी रणनिति, प्रचार-योजना और INDIA ब्लॉक की एकता पर भी फोकस रहा। संगठन नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता है कि पटरी से उतरी हुई सीट-वार्ता फिर से पटरी पर लाई जाए, और सभी घटक दलों के बीच चुनौतियों का सामना करते हुए गठबंधन मजबूत स्थिति में प्रतिस्पर्धा करे।
बता दें कि, बैठक के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे आरोप भी लगाए हैं। खड़गे ने कहा है कि नीतीश कुमार ने अपने “समाजवादी विचार” छोड़कर भाजपा-RSS के साथ हाथ मिला लिया है, और यह गठबंधन बिहार के लिए इतिहास में एक गलत कदम साबित होगा।
