समाचार मिर्ची

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अयोध्या — आज का दिन हिंदु धर्म एवं भारतीय संस्कृति के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होने वाला है। मंगलवार, 25 नवम्बर 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के समापन के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष ध्वजारोहन समारोह में भाग लेने आए हैं। मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराने की यह घड़ी सुबह 11:58 बजे से 12:30 बजे के बीच शुभ मुहूर्त में निर्धारित है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगभग 22 महीने बाद एक बार फिर रामलला के समक्ष होंगे। रामलला के मंदिर निर्माण के संकल्प की पूर्णता के समर्पण को लेकर ‘राम काज कीन्हें बिनु मोहिं कहा विश्राम’ के उद्घोष के साथ कोरोना जैसी त्रासदी के बीच पांच अगस्त 2020 को मंदिर के निर्माण की शिला रखकर शुरुआत की थी। इसके बाद 22 जनवरी, 2024 को प्राण प्रतिष्ठा की थी।

कार्यक्रम का विवरण

प्रधानमंत्री मोदी सुबह 9:35 पर अयोध्या एयरपोर्ट पर उतरे, इसके बाद उन्होंने 9:50 बजे साकेत महाविद्यालय हेलिपैड से आगे यात्रा प्रारंभ की। ध्वजारोहन का मुख्य मंच मंदिर परिसर में स्थित शिखर है, जहाँ पर आज 22 फुट लंबा तथा 11 फुट चौड़ा भगवा ध्वज फहराया जाएगा। इस ध्वज के शीर्ष पर ‘सूर्य’ का प्रतीक, ‘ॐ’ तथा ‘कोविदरा वृक्ष’ (जिसकी पौराणिक मान्यता है) अंकित हैं।

मान्यता है कि आज के दिन (विवाह पंचमी) पर भगवान राम एवं माता सीता की विवाह पंजिकृत हुई थी। यही कारण है कि यह ध्वजारोहन विशेष सुयोग्य मुहूर्त में रखा गया है। ध्वज-उत्थान ‘धर्म की विजय’ का प्रतीक है, जिसमें भगवा रंग त्याग व समर्पण का भाव दर्शाता है, सूर्य प्रतीक सौरवंशीयता एवं प्रकाश का चिन्ह है, ‘ॐ’ आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है और कोविदरा वृक्ष आत्मनिर्भरता-विकास का प्रतीक।

गौरतलब हैं कि, इस स्थान पर लंबे समय तक विवाद चला था। अयोध्या विवाद, न्यायिक प्रक्रिया तथा धर्म-समर्थन के अनेक मोड़ों से होते हुए 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर की आधारशिला रखी थी। इसके पश्चात 22 जनवरी 2024 में मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। आज के ध्वजारोहन समारोह के साथ मंदिर निर्माण कार्य का एक बहुत महत्वपूर्ण चरण पूर्ण हो रहा है।

बता दें कि, आज का यह क्षण — जब भगवा ध्वज ‘राम मंदिर’ के शिखर पर लहराएगा — एक प्रतीक है उस लंबी यात्रा का, जिसमें आस्था, संघर्ष, न्याय, निर्माण और सामूहिक समर्पण शामिल रहा। इस अवसर पर पूरा अयोध्या नगरी और हिन्दू-धर्म-संस्कृति से जुड़ी बड़ी संख्या में श्रद्धालु एक साथ मिलकर यह महसूस कर रहे हैं कि एक युग का अंत और नए अध्याय की शुरुआत हो रही है।

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