कांग्रेस सांसद और प्रसिद्ध लेखक शशि थरूर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला उनके द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण पर की गई प्रतिक्रिया का है, जिसने कांग्रेस के भीतर हलचल पैदा कर दी। थरूर पहले भी अपनी स्पष्टवादिता और स्वतंत्र राजनीतिक सोच के लिए जाने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी टिप्पणी को लेकर पार्टी के खेमे में नाराज़गी साफ़ दिखाई दी। इसे लेकर कई कांग्रेस नेताओं ने उन्हें सार्वजनिक रूप से घेरा, जिसके बाद थरूर को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा, “मैंने पीएम मोदी की तारीफ नहीं की, मेरी टिप्पणी को गलत समझा गया।”
कांग्रेस में असहजता, बयानों की तीखी प्रतिक्रिया
दरअसल, हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के एक भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा था कि यह भाषण “आर्थिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक आह्वान का मिश्रण” है। इस टिप्पणी को कांग्रेस के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री की “तारीफ़” के रूप में देखा और तुरंत प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। कई नेताओं ने कहा कि ऐसे वक्त में जब पार्टी केंद्र की नीतियों का मुखर विरोध कर रही है, उस समय पार्टी के वरिष्ठ सांसद का इस प्रकार का बयान गलत संदेश देता है।
पीएम मोदी का वह भाषण आर्थिक विकास, भारत की सांस्कृतिक भूमिका और वैश्विक नेतृत्व की संभावनाओं से जुड़ा था। थरूर ने इसे “आर्थिक दृष्टि और सांस्कृतिक संदेश” के तौर पर वर्णित किया। लेकिन कांग्रेस के आलोचक धड़े के नेताओं का कहना था कि यह बयान प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को “सकारात्मक रोशनी” में प्रस्तुत करता है, जबकि पार्टी का आधिकारिक रुख कई मुद्दों पर सरकार की नीतियों के विरोध में है।
बता दें कि, शशि थरूर के बयान और उस पर उठा विवाद एक बार फिर भारत की राजनीतिक संस्कृति में बढ़ते ध्रुवीकरण को उजागर करता है। यह सवाल उठाता है कि क्या आज की राजनीति में सिर्फ विश्लेषण करना भी जोखिम भरा हो गया है? क्या हर टिप्पणी को समर्थन बनाम विरोध की कसौटी पर ही परखा जाएगा?
