बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा उनको सुनाई गई मिन्नत की मौत (कैपिटल डिपेंडेंस) की सजा को कड़ी निंदा करते हुए इसे एक पक्षपातपूर्ण, राजनीतिक और अवैध कार्रवाई करार दिया है। दिल्ली से दिए अपने पहले इंटरव्यू में हसीना ने कहा है कि यह फैसला एक “फर्जी और तथाकथित अदालत” द्वारा लिया गया, जिसका कोई जनादेश (लोक-स्वीकृति) नहीं है।
शेख हसीना 5 अगस्त 2024 से ही भारत में शरण लिए हुए हैं. उन पर पिछले साल के हिंसक छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने उन्हें दोषी ठहराया है. हसीना ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मैं खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करती हूं।
बता दें कि, शेख हसीना की मौत की सजा की घोषणा बांग्लादेश में एक नयी राजनीतिक भू-चाल है। हसीना की ओर से लगाए गए आरोप — कि यह फैसला एक राजनीतिक सत्यापन (vendetta) का हिस्सा है — मौजूदा विवाद की गंभीरता को दर्शाते हैं। यह न सिर्फ बांग्लादेश की न्याय प्रणाली की परीक्षा है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्य, राजनीतिक плюरलिज़्म और मानवाधिकारों की रक्षा की क्षमता पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
