मध्य प्रदेश के कटनी जिले की रहने वाली युवती अर्चना तिवारी के गुमशुदगी के मामले ने बीते 13 दिनों से पूरे प्रदेश को चिंता में डाल रखा था। इंदौर से कटनी जाने के दौरान अचानक लापता हुई इस युवती का सुराग आखिरकार पुलिस को मिल गया है। परिजनों ने इसकी पुष्टि की है कि अर्चना ने अपनी मां से फोन पर बात कर अपनी लोकेशन साझा की, जिसके बाद जीआरपी की विशेष टीम तुरंत उसे लेने के लिए रवाना हो गई।
बता दें कि, मध्य प्रदेश के कटनी जिले की रहने वाली अर्चना 7 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने के लिए इंदौर से कटनी के लिए नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच बी 3 में सवार हुई थी, लेकिन वो गायब हो गई. हालांकि 12 दिन बाद जांच में पता चला कि युवती की ग्वालियर के भंवरपुरा थाने में पदस्थ आरक्षक से लगातार बात हो रही थी।इतना ही नहीं आरक्षक ने युवती का इंदौर से ग्वालियर का एक बस टिकट भी बुक कराया था. इस मामले की जांच कर रही जीआरपी की टीम ग्वालियर पहुंचकर आरक्षक से पूछताछ की, जिसमें कई अहम सुराग हाथ लगे।
कैसे हुई गुमशुदगी?
7 अगस्त 2024 को अर्चना तिवारी इंदौर से कटनी के लिए नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच बी–3 में सवार हुई थी। वह रक्षाबंधन का त्योहार मनाने अपने घर जा रही थी। लेकिन ट्रेन में सवार होने के बाद अचानक वह लापता हो गई। परिवार ने जब उससे संपर्क करने की कोशिश की, तो न तो फोन पर जवाब मिला और न ही किसी ने उसे ट्रेन में देखा
ग्वालियर कनेक्शन से खुली गुत्थी
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि अर्चना ग्वालियर के भंवरपुरा थाने में पदस्थ आरक्षक राम तोमर के संपर्क में थी। फोन रिकॉर्ड्स से खुलासा हुआ कि दोनों के बीच लगातार बातचीत हो रही थी। इतना ही नहीं, आरक्षक ने इंदौर से ग्वालियर तक का एक बस टिकट भी अर्चना के नाम से बुक कराया था।
अर्चना के भाई दिव्यांशु मिश्रा ने NDTV से बातचीत में बताया कि उनकी बहन जीवित और सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि मामले की विस्तृत जानकारी पुलिस ही साझा करेगी। लेकिन परिवार के लिए यह किसी राहत से कम नहीं कि 13 दिनों बाद उनकी बेटी-बेहना से संपर्क स्थापित हो पाया।
वही, अर्चना तिवारी का यह मामला महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े करता है। ट्रेन जैसे सार्वजनिक परिवहन में अचानक किसी महिला का गायब हो जाना बड़ी चिंता का विषय है। रेल यात्राओं के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और जीआरपी की जिम्मेदारी को लेकर अब बहस छिड़ गई है।