बांग्लादेश में दिसंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हुई दो क्रूर हत्याओं ने पूरे क्षेत्र में हाहाकार मचा दिया है। 18 दिसंबर को मयमंसिंह जिले के भालुका उपजिला में 27 वर्षीय हिंदू गारमेंट फैक्ट्री वर्कर दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जबकि 24 दिसंबर को राजबाड़ी जिले के पांगशा में 29 वर्षीय अमृत मंडल (उर्फ सम्राट) की भीड़ द्वारा हत्या ने स्थिति को और भयावह बना दिया।
जानकारी दे दें कि, इन हत्याओं के बाद हिंदू समुदाय में भय का माहौल है। रिपोर्ट के अनुसार, निर्वासित बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के नेता निहार हलदर की मदद से रंगपुर, चटगांव, ढाका और मयमंसिंह के हिंदू निवासियों से व्हाट्सएप कॉल पर बातचीत हुई। एक 52 वर्षीय रंगपुर निवासी ने कहा, “हम अपने धर्म के कारण लगातार अपमान सह रहे हैं। सड़क पर ताने सुनने पड़ते हैं, जो जल्द ही भीड़ की हत्या में बदल सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि अल्पसंख्यक हिंदू फंस गए हैं और अपमान सह रहे हैं क्योंकि डर है कि दीपू या अमृत जैसा हाल उनका न हो जाए।
ढाका के एक हिंदू निवासी ने कहा कि दीपू दास की हत्या ने डर पैदा किया है, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान की बांग्लादेश वापसी ने उन्हें और चिंतित कर दिया है। यदि बीएनपी सत्ता में आई, तो उत्पीड़न और बढ़ सकता है। शेख हसीना की अवामी लीग ही अल्पसंख्यकों की रक्षक थी। सनातन जागरण मंच के एक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बांग्लादेश में करीब 2.5 करोड़ हिंदू हैं
बता दें कि, यह स्थिति भारत-बांग्लादेश संबंधों पर गहरा असर डाल रही है। सीमा विवाद, व्यापार और राजनयिक तनाव बढ़े हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, अमेरिकी सांसदों सहित, ने भी निंदा की है। उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार कानून-व्यवस्था बहाल करेगी, दोषियों को सजा देगी और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
