अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान करते हुए भारत से आयातित फार्मा प्रोडक्ट्स, फर्नीचर, कैबिनेट्स और ट्रकों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की। इसके तहत जेनरिक दवाओं पर 100% टैरिफ, किचन कैबिनेट्स और बाथरूम वैनिटी पर 50%, फर्नीचर पर 30% और भारी ट्रकों पर 25% टैरिफ लागू होगा। ये दरें 1 अक्टूबर से प्रभावी होंगी।
बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को फार्मा प्रोडक्ट पर 100% टैरिफ साथ ही 1 अक्टूबर से रसोई कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी पर 50%, फर्नीचर पर 30% और भारी ट्रकों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। ऐसे में हम आपको अमेरिका में एक्सपोर्ट करने वाले ब्रांड्स के नाम बता रहे हैं। भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनियां जेनरिक दवाओं (Generic drugs) के लिए जानी जाती हैं और अमेरिका उनका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है।
भारतीय फर्नीचर उद्योग धीरे-धीरे वैश्विक स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। अमेरिका और यूरोप भारत से अपहोल्स्टर्ड (गद्देदार) फर्नीचर, सोफे और आर्मचेयर का बड़ा आयात करते हैं।
अमेरिका को अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर निर्यात करने वाली प्रमुख कंपनियां:-
- Indian Designs Exports Pvt Ltd – अमेरिका को सोफा और गद्देदार फर्नीचर भेजने में अग्रणी।
- Furniture Kraft International Pvt Ltd – मेटल और अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर दोनों की सप्लाई करती है।
- Rovere Homes – आर्मचेयर और लक्जरी अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर की आपूर्ति करती है।
- Furniture Roots (जोधपुर) – हैंडमेड और आधुनिक डिजाइन वाले फर्नीचर के निर्यात में मशहूर।
30% टैरिफ बढ़ने से इन कंपनियों को अमेरिकी बाजार में चीनी और वियतनामी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ सकती है।
भारतीय कंपनियों पर संभावित असर
- फार्मा सेक्टर – भारत की दवा कंपनियों को अमेरिकी बाजार से भारी नुकसान हो सकता है। 100% टैरिफ से दवाएं महंगी होंगी और उनकी मांग घट सकती है।
- फर्नीचर और कैबिनेट्स सेक्टर – अमेरिका भारतीय फर्नीचर के बड़े बाजारों में से है। यहां 30-50% टैरिफ लगने से भारतीय कंपनियां वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकती हैं।
- भारी ट्रक – इस श्रेणी में भारत का निर्यात सीमित है, इसलिए असर कम रहेगा।
बता दें कि, अमेरिका, भारत का एक बड़ा निर्यात बाजार है और ट्रंप प्रशासन का यह फैसला दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर असर डाल सकता है। फार्मा से लेकर फर्नीचर तक, कई भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। आने वाले समय में भारत सरकार और उद्योग जगत को इस चुनौती से निपटने के लिए नई रणनीतियां अपनानी होंगी।