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जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में मंगलवार को हुए विरोध प्रदर्शन ने एक मासूम की जिंदगी छीन ली। आप विधायक मेहराज मलिक की गिरफ्तारी के खिलाफ समर्थकों ने डोडा में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य रास्तों को जाम कर दिया, जिससे आम जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

पुलिस और प्रदर्शनकारी के बीच झड़प

बता दें कि मंगलवार को पुल डोडा के क्लाक टावर इलाके में मेहराज मलिक की रिहाई की मांग को लेकर उनके समर्थक विरोध प्रदर्शन करते रहे थे। पुलिस ने कई बार हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को हटाने की कोशिश की, लेकिन समर्थक डटे रहे।

इस बीच, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। अधिकारियों के अनुसार, पुलिस और अर्धसैनिक बलों को इलाकों में तैनात किया गया था, ताकि हालात काबू में रहें। बावजूद इसके बार-बार के विरोध और रास्ता जाम होने से आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

परिजनों के आरोप और आक्रोश

बच्ची के परिजनों का कहना है कि उन्होंने बार-बार तैनात पुलिसकर्मियों से एंबुलेंस को निकलने देने की विनती की। लेकिन उन्हें रास्ता साफ करने की अनुमति नहीं दी गई। परिवार का आरोप है कि अगर पुलिस ने मानवीय संवेदनाओं को प्राथमिकता दी होती, तो शायद उनकी बच्ची की जान बच सकती थी।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और जांच

डोडा जिला प्रशासन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह पता लगाया जाएगा कि बच्ची की मौत किन परिस्थितियों में हुई।

प्रशासन ने यह भी कहा कि जांच में यह देखा जाएगा कि क्या एंबुलेंस को समय पर निकालने में लापरवाही बरती गई और क्या प्रदर्शनकारियों या पुलिस की किसी कार्रवाई ने इस त्रासदी को जन्म दिया।

बता दें कि, मंगलवार को डोडा के पुल और क्लॉक टावर इलाके में आप विधायक मेहराज मलिक की रिहाई की मांग को लेकर बड़ी संख्या में लोग जमा हुए। प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर नारेबाजी की और यातायात बाधित किया पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए कई बार हल्का बल प्रयोग किया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया।

डोडा की यह घटना लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती को उजागर करती है। विरोध प्रदर्शन किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का अहम हिस्सा होते हैं, लेकिन इन्हें ऐसे तरीके से करना जरूरी है जिससे आम नागरिकों की जिंदगी पर खतरा न हो।

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