जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) नेता उमर अब्दुल्ला ने लद्दाख के हालातों पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराज्यपाल प्रशासन और केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि लेह में हुई हिंसा प्रशासन की सीधी विफलता का नतीजा है और लोगों की जान जाने का जिम्मेदार तंत्र को ही ठहराया जाना चाहिए।
महबूबा मुफ्ती से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लेह में हिंसा प्रशासन की विफलता का परिणाम थी मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि लद्दाख में हालात खराब हैं और यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि चार लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए।
अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि वह इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल और कारगिल तथा लेह के बीच भाईचारा देखना चाहेंगे। अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश की मांग की और उन्हें मिल गया। उन्हें केंद्र शासित प्रदेश के अंतर्गत जितना हो सके उतना विकास करने दें।
हिंसा को प्रशासनिक विफलता बताया
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने कहा कि लेह में हुई हिंसा और उसके कारण चार लोगों की मौत तथा कई अन्य के घायल होने की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से उपराज्यपाल प्रशासन की नाकामी है।
“लद्दाख प्रशासन को यह देखना चाहिए कि पहली बार में ही शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए गए। अगर समय रहते सही निर्णय लिए जाते तो शायद इतनी बड़ी घटना न होती।” – उमर अब्दुल्ला
बता दें कि, लद्दाख में हुई हिंसा ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उपराज्यपाल प्रशासन और केंद्र सरकार इस क्षेत्र में शांति और विकास सुनिश्चित करने में सक्षम हैं। उमर अब्दुल्ला का यह बयान इस बहस को और तेज करता है कि जब लद्दाख में भाजपा की ही सरकार है तो हिंसा जैसी घटनाओं का ठीकरा कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों पर क्यों फोड़ा जा रहा है।
