भारत की राजनीति में 9 जून 2024 का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार पद की शपथ ली। वे पहले गैर-कांग्रेसी नेता बने जिन्होंने लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद हासिल किया और इस तरह वे जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे ऐसे नेता बन गए हैं जिनके नाम यह उपलब्धि दर्ज हुई है। 73 वर्षीय मोदी का यह नया कार्यकाल भारतीय लोकतंत्र और सत्ता संतुलन दोनों के लिहाज़ से बेहद अहम माना जा रहा है।
भाजपा संगठन में डेढ़ दशक से अधिक के कार्यकाल के दौरान राजनीति की अनिश्चितताओं को देखने के बाद, मोदी ने परिणामों का विश्लेषण करते समय अडिग आत्मविश्वास की तस्वीर पेश की। भाजपा नेताओं ने कहा है कि भाजपा ने ओडिशा में लोकसभा चुनावों में लगभग पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है और पहली बार विधानसभा में बहुमत हासिल किया। इसके अलावा तेलंगाना में अपने सांसदों की संख्या दोगुनी कर ली है और केरल में पहली बार अपना खाता खोला है, जो पीएम मोदी की लोकप्रियता की मजबूती को दर्शाता है।
गुजरात से दिल्ली तक मोदी का सफर
नरेंद्र मोदी का राजनीतिक सफर गुजरात से शुरू हुआ। 2001 में जब वे पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब बहुत कम लोगों को अंदाज़ा था कि यही नेता आने वाले समय में भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा बनेगा। 2002 के गोधरा कांड के बाद उन्हें कड़ी आलोचनाओं और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भाजपा को लगातार मजबूत किया और गुजरात में 2002, 2007 और 2012 में लगातार चुनाव जीतकर विकास और हिंदुत्व के मिश्रण पर आधारित एक नई राजनीतिक धारा गढ़ी।
विपक्ष की चुनौती और गठबंधन राजनीति
हालांकि इस बार की तस्वीर थोड़ी अलग रही। प्रधानमंत्री मोदी को पहली बार गठबंधन राजनीति के तीखे मोड़ों से गुजरना होगा। भाजपा का बहुमत इस बार अपने बल पर नहीं बना और सहयोगी दलों की भूमिका निर्णायक हो गई है। विपक्ष ने भी इस बार मज़बूती दिखाई है, विशेषकर उत्तर प्रदेश में जहां सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा को करारा झटका दिया। राजस्थान में भी कांग्रेस ने अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन किया।
नरेंद्र मोदी का लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना भारतीय लोकतंत्र की एक ऐतिहासिक घटना है। यह उनकी लोकप्रियता, भाजपा के संगठनात्मक बल और भारतीय जनता की उम्मीदों का प्रतीक है। लेकिन इस बार की यात्रा आसान नहीं होगी। विपक्ष अधिक सशक्त है, सहयोगी दलों की भूमिका अहम है और जनता की अपेक्षाएँ भी पहले से कहीं अधिक बड़ी हैं।
