शारदीय नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा को समर्पित होता है। इस वर्ष महानवमी का पर्व 1 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। महानवमी को मां सिद्धिदात्री की उपासना का विशेष महत्व है। यह दिन भक्तों के लिए आशीर्वाद और सिद्धियों की प्राप्ति का अवसर माना जाता है। महानवमी के दिन हवन और कन्या पूजन का विधान है।
नवरात्रि में हवन करने के लिए कई तरह की सामग्री की आवश्यकता होती है। पूजा शुरू करने से पहले आपको हवन कुंड, आम की लकड़ी, शुद्ध देसी घी, पान के पत्ते, सुपारी और सूखे नारिय की आवश्यक हैं। इसके अलावा कपूर, लाल कपड़ा, गंगाजल, चरणामृत, कलावा और आम के पत्तों की भी जरूरत पड़ती है। हवन के लिए लोबान, गुग्गल, जौ, काले तिल, चावल, शहद, लौंग भी शामिल की जाती हैं।
नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त
- महानवमी तिथि प्रारम्भ: 30 सितम्बर 2025, शाम 06:07 बजे
- महानवमी तिथि समाप्त: 01 अक्टूबर 2025, शाम 07:02 बजे
इस अवधि में श्रद्धालु मां सिद्धिदात्री की आराधना, हवन और कन्या पूजन कर सकते हैं।
हवन की संपूर्ण विधि
- स्थान की शुद्धि – सबसे पहले पूजा स्थल और हवन कुंड को अच्छी तरह साफ करें। गंगाजल का छिड़काव करें।
- सामग्री व्यवस्थित करें – हवन कुंड और सारी सामग्री पास रखें।
- अग्नि प्रज्ज्वलन – कपूर और आम की लकड़ी का उपयोग करके हवन कुंड में अग्नि प्रज्ज्वलित करें।
- संकल्प – हाथ में जल, फूल और चावल लेकर मां दुर्गा का ध्यान करते हुए हवन का संकल्प लें।
- आहुति दें – “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” या दुर्गा सप्तशती के मंत्रों के साथ 108 बार आहुति दें।
- पूर्ण आहुति – अंत में एक सूखा नारियल लें, उसमें हवन सामग्री भरकर अग्नि में अर्पित करें।
- प्रसाद वितरण – हवन के बाद कन्या पूजन और भोग अर्पण कर प्रसाद का वितरण करें।
शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन महानवमी, मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन और कन्या पूजन के लिए समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक हवन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। धार्मिक मान्यता है कि नवमी पर किया गया हवन भक्त को दोगुना आशीर्वाद देता है और जीवन के सभी संकटों का निवारण करता है।
