भुवनेश्वर,ओडिशा के ढेंकनाल जिले में एक बेहद दुखद और चौंकाने वाली घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। एक ही परिवार के तीन सदस्यों—एक महिला और उसके दो बेटों—की मौत चिकन करी, पालक (पालक साग) और चावल खाने के बाद हो गई। पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसे फूड पॉइजनिंग का संदिग्ध मामला बताया है, हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत का सटीक कारण स्पष्ट होगा। यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा की कमी और अनुचित भंडारण-प्रसंस्करण की गंभीर समस्या को उजागर करती है।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच में फूड पॉइजनिंग को मुख्य संदेह बताया है। विशेष रूप से पालक साग पर संदेह है, जो संभवतः दूषित था या किसी जहरीले जीवाणु से प्रभावित था। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि परिवार के अन्य सदस्यों ने भी चावल और चिकन खाया लेकिन उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई, जिससे संदेह पालक पर अधिक केंद्रित है। पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और वैज्ञानिक टीम गांव में जांच कर रही है।
जानकारी दे दें कि, चिकन दुनिया भर में सबसे अधिक खाया जाने वाला मांस है, लेकिन कच्चा या अधपका चिकन Salmonella और Campylobacter जैसे खतरनाक बैक्टीरिया से दूषित हो सकता है। ये बैक्टीरिया चिकन की आंतों में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं और प्रसंस्करण के दौरान मांस पर फैल सकते हैं। अगर चिकन को 165°F (74°C) तक ठीक से नहीं पकाया जाए, तो बैक्टीरिया जीवित रह जाते हैं। क्रॉस-कंटेमिनेशन (कच्चे चिकन के रस से अन्य खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया का स्थानांतरण) भी बड़ा खतरा है।
इस घटना से सीख और सावधानियां
यह दुखद घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि पौष्टिक भोजन भी अगर ठीक से नहीं संभाला जाए तो जानलेवा हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार:
- चिकन को हमेशा 74°C तक पूरी तरह पकाएं।
- पालक और हरी सब्जियों को बहते पानी से अच्छी तरह धोएं, कई बार कुल्ला करें।
- कच्चे और पके भोजन को अलग रखें, क्रॉस-कंटेमिनेशन से बचें।
- बचे हुए भोजन को 2 घंटे से ज्यादा बाहर न छोड़ें, फ्रिज में रखें।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पानी और उचित भंडारण पर ध्यान दें।