नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के मीडिया विभाग प्रमुख पवन खेड़ा इन दिनों बड़ी राजनीतिक और कानूनी मुश्किल में घिर गए हैं। कारण यह है कि दिल्ली की दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों—जंगपुरा और नई दिल्ली—की मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज पाया गया है। चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीर मानते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है और जवाब देने के लिए कहा है।
बता दें कि, पवन खेड़ा की सफाई से चुनाव आयोग संतुष्ट नजर नहीं आया और शाम को उन्हें नोटिस जारी कर दिया। आयोग के सूत्रों के अनुसार मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए फार्म छह भरना होता है। वहीं एक जगह से दूसरी जगह नाम स्थानांतरित करने के लिए फार्म सात भरना जरूरी है। जाहिर है पवन खेड़ा ने दोनों जगह फार्म छह भरकर अपना नाम मतदाता सूची में शामिल कराया होगा। फार्म छह भरने के साथ ही मतदाता को घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करना होता है कि उसका नाम किसी अन्य जगह पर मतदाता सूची में नहीं है।
पवन खेड़ा ने स्वयं स्वीकार किया है कि उनका नाम दो विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज है। हालांकि, उनका कहना है कि उन्होंने पहले ही एक जगह से नाम हटाने के लिए आवेदन कर दिया था। बावजूद इसके, मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। भाजपा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है और खेड़ा पर चुनाव आयोग को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह साबित हो जाता है कि पवन खेड़ा ने जानबूझकर चुनाव आयोग को गलत जानकारी दी है, तो उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 31 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इस प्रावधान के अनुसार दोषी पाए जाने पर एक साल की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यह धारा मतदाता सूची से संबंधित धोखाधड़ी को गंभीर अपराध मानती है।
बता दें कि, भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पवन खेड़ा से संबंधित सबूत साझा किए। उन्होंने दावा किया कि खेड़ा के पास जंगपुरा और नई दिल्ली दोनों विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में नाम है। मालवीय ने दोनों ईपिक नंबर और मतदाता सूची की फोटोकॉपी भी पोस्ट कर दी। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला।