भारतीय राजनीति में बयानबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब यह बयान राष्ट्रीय स्तर पर बहस का मुद्दा बन जाए, तो इसका असर दूरगामी होता है। हाल ही में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के “हाइड्रोजन बम” वाले बयान ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखा हमला बोला है।
रविशंकर प्रसाद का तंज
भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका “एटम बम” तो पहले ही फुस्स हो गया और अब वे “हाइड्रोजन बम” की बात कर रहे हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि दुनिया में आज तक हाइड्रोजन बम फूटा नहीं, लेकिन राहुल गांधी इसे फोड़ने की बात कर रहे हैं।
बता दें कि, भाजपा ने बिहार चुनाव में विपक्षी महागठबंधन के तालमेल और मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर भी कटाक्ष किया और कहा कि गाड़ी में घूमते हैं तो राहुल गांधी आगे और तेजस्वी तथा अखिलेश यादव पीछे बैठते हैं। पार्टी ने सवाल उठाया कि बिहार में तेजस्वी दो नंबर के खिलाड़ी क्यों हो गए, जबकि कांग्रेस का वहां कोई वोटबैंक नहीं है। रविशंकर प्रसाद ने तेजस्वी से पूछा है कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार होते हुए भी मैदान छोड़कर राहुल को ड्राइविंग सीट क्यों दे दी? साथ ही दावा किया कि वोट अधिकार यात्रा का कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
बिहार में चल रहे एसआइआर विवाद और विपक्षी हंगामे पर टिप्पणी करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसके पीछे विपक्ष की बूथ कैप्चरिंग और घुसपैठियों को बढ़ावा देने की चाहत है। उन्होंने कहा कि ईवीएम से पहले बिहार के चुनावों में मतदान के दिन हत्या और बूथ कैप्चरिंग आम बात थी। लेकिन आज जब ईवीएम ने इन प्रवृत्तियों को खत्म कर दिया है, तो विपक्ष बैलेट पेपर की मांग कर रहा है।
गौरतलब है कि, भारतीय राजनीति में शब्दों का महत्व बेहद बड़ा है। राहुल गांधी के “हाइड्रोजन बम” वाले बयान ने न केवल भाजपा को विपक्ष पर हमला करने का मौका दिया है, बल्कि कांग्रेस के लिए भी यह आत्ममंथन का विषय है कि क्या उनकी बयानबाजी उन्हें राजनीतिक रूप से फायदा पहुंचा रही है या नुकसान।
