नासिक। महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय ठाकरे भाइयों का मंच साझा करना और उसके बाद शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के बीच संभावित गठबंधन की अटकलें हैं। हाल ही में मराठी भाषा और ‘मराठी मानुष’ के मुद्दे पर आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे साथ नज़र आए। इसी के बाद से सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि कहीं दोनों भाई एक बार फिर साथ तो नहीं आ रहे।
दरअसल, सोमवार को इगतपुरी में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में राज ठाकरे ने कथित तौर पर कहा कि 5 जुलाई को एमएनएस और शिवसेना (यूबीटी) की संयुक्त विजय उत्सव रैली केवल मराठी मुद्दे पर थी, इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एमएनएस चुनावों पर अंतिम फैसला नगर निकाय चुनावों की घोषणा होने पर लेगी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, “जब पत्रकारों से के साथ अनौपचारिक बातचीत हुई तो मुझसे 5 जुलाई को मुंबई में हुई विजयोत्सव रैली के बारे में पूछा गया। मैंने कहा कि यह आयोजन मराठी मानुष की जीत का जश्न मनाने के लिए था और ये राजनीतिक नहीं था। इसके बाद उन्होंने पूछा कि (शिवसेना-एमएनएस) गठबंधन के बारे में क्या कहना चाहेंगे? इस पर मैंने कहा, क्या मुझे अभी आपसे गठबंधन के बारे में चर्चा करनी चाहिए?”
बता दें कि, महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे भाइयों के मंच साझा करने ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या पुराने मतभेदों को भुलाकर दोनों साथ आएंगे। हालांकि फिलहाल राज ठाकरे ने इस पर विराम लगाने की कोशिश की है और कहा है कि गठबंधन की कोई बात नहीं हुई है। उन्होंने मीडिया से जिम्मेदारी से पेश आने और अनौपचारिक बातचीत को गलत ढंग से पेश न करने की अपील भी की।