नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) की बैठक के बाद बड़ा ऐलान किया है। आरबीआई ने रेपो रेट को यथावत रखते हुए किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की है। मौजूदा समय में रेपो रेट 5.5 फीसदी पर कायम है। इसका सीधा असर करोड़ों लोन लेने वाले उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जिन्हें अब EMI में किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी।
आरबीआई (RBI Repo Rate) ने रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की है। रेपो रेट को 5.5 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने लोन ले रखा है उनकी EMI भी नहीं घटेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर आरबीआई (RBI Monetary Policy) के रेपो रेट घटाने पर ही बैंक लोन दरों में कटौती करते हैं जिससे EMI भी कम हो जाती है।
क्या है रेपो रेट और क्यों होता है अहम?
रेपो रेट वह दर है जिस पर रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराता है। जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है तो बैंक कम ब्याज दर पर ऋण लेते हैं और उपभोक्ताओं को कम ब्याज पर लोन उपलब्ध कराते हैं। इससे आम जनता की EMI घट जाती है और उपभोग क्षमता बढ़ती है।
इसके विपरीत, जब रेपो रेट में कटौती नहीं की जाती या इसे बढ़ाया जाता है, तो ऋण महंगा हो जाता है और EMI घटने की संभावना खत्म हो जाती है।
बता दें कि, आरबीआई का यह निर्णय इस बात का संकेत है कि केंद्रीय बैंक इस समय किसी भी तरह का जोखिम उठाने के मूड में नहीं है। दरों को 5.5% पर बरकरार रखना दर्शाता है कि मौजूदा प्राथमिकता महंगाई पर नियंत्रण और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है। हालांकि, लोन लेने वालों को फिलहाल EMI में राहत नहीं मिलेगी, लेकिन आने वाले महीनों में अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो उन्हें राहत की उम्मीद की जा सकती है।