बॉलीवुड की फिल्मों में कई बार रिश्तों के उलझे ताने-बाने और सपनों को उड़ान देने वाली कहानियां देखने को मिली हैं, लेकिन अनुपम खेर की नई फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ इस दिशा में एक अलग और जरूरी प्रयास है। फिल्म ऑटिज्म से जूझ रही एक लड़की की कहानी कहती है, जो समाज की परंपराओं और पूर्वाग्रहों के बीच अपने सपनों के लिए खड़ी होती है।
फिल्म के निर्माता, लेखक और निर्देशक अनुपम खेर ने अपनी भांजी से प्रेरित होकर यह फिल्म बनाई है। तन्वी के जरिए वह ऑटिज्म से पीडित को कमतर न समझने के साथ प्यार और सम्मान से पेश आने का संदेश सहजता से दे जाते हैं।
कहानी: “मैं अलग हूं, कमतर नहीं”
फिल्म का नायक एक संवाद है – “आई एम डिफरेंट, बट नो लेस”। यह संवाद बताता है कि नायिका तन्वी (शुभांगी दत्त) का जीवन कैसा है। वह ऑटिज्म से पीड़ित है, जिससे उसका व्यवहार, सोचने और प्रतिक्रिया करने का तरीका दूसरों से अलग है।
दिल्ली में रहने वाली विद्या रैना (पल्लवी जोशी) अपनी बेटी तन्वी को लेकर उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ी कस्बे लैंसडाउन पहुंचती है। विद्या ऑटिज्म विशेषज्ञ है और न्यूयॉर्क में एक कार्यशाला में शामिल होने जा रही है। इसलिए वह अपनी बेटी तन्वी को अपने ससुर कर्नल प्रताप रैना (अनुपम खेर) के पास छोड़ देती है ताकि वह कुछ दिन संगीत सीख सके।
‘तन्वी द ग्रेट’ एक भावनात्मक, प्रेरणादायक और सामाजिक संदेश देने वाली फिल्म है। यह हमें सिखाती है कि सपने किसी के भी हो सकते हैं और हमें उन्हें हौसला देना चाहिए। अनुपम खेर की इस फिल्म को देखने जरूर जाएं।
मालूम हो कि, फिल्म के प्रति उत्सुकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ‘तन्वी द ग्रेट’ का प्रीमियर राष्ट्रपति भवन में किया गया। भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने फिल्म की सराहना की और इसके सामाजिक संदेश की तारीफ की। अब यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है और दर्शकों के सामने अपनी कहानी बयां कर रही है।