अंतरराष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक व्यापार के बदलते परिदृश्य में भारत ने एक बार फिर अपनी आर्थिक कूटनीति का शानदार प्रदर्शन किया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी-भरकम 50% टैरिफ (Tariff War) के दबाव के बावजूद भारत झुकने को तैयार नहीं है। इसके विपरीत, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने रूस की कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित कर एक मास्टरस्ट्रोक खेला है।
टैरिफ वॉर के बीच भारत का आत्मविश्वास
ट्रंप प्रशासन ने भारत के कई उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगाया, जिसका सीधा असर भारतीय निर्यात पर पड़ा। सामान्य परिस्थितियों में कोई भी देश ऐसे हालात में दबाव महसूस करता, लेकिन भारत ने इसे एक अवसर के रूप में देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने अपनी विकल्प आधारित कूटनीति (Multi-Vector Diplomacy) को मजबूत किया और अमेरिका पर निर्भरता घटाते हुए अन्य सहयोगियों की ओर रुख किया।
विदेश मंत्री ने रूसी कंपनियों से अपील करते हुए कहा कि भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था 7% की रफ्तार से बढ़ रही है। इस विकास यात्रा में ऊर्जा, उर्वरक, मशीनरी, रसायन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारी मांग है। रूस, जो इन क्षेत्रों में मजबूत खिलाड़ी है, भारत के साथ दीर्घकालिक व्यापारिक रिश्ते बना सकता है।
भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रिश्ते दशकों पुराने हैं। रक्षा सहयोग से लेकर ऊर्जा सुरक्षा तक, दोनों देशों ने एक-दूसरे का कठिन समय में साथ दिया है। शीत युद्ध के दौर से लेकर आज तक रूस भारत का स्ट्रैटेजिक पार्टनर रहा है।
हाल के वर्षों में भारत और रूस के बीच व्यापारिक लेन-देन बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही व्यापार घाटा (Trade Deficit) भी बढ़ा है। भारत रूस से तेल और रक्षा उपकरणों का बड़ा आयातक है, जबकि भारतीय निर्यात का स्तर अपेक्षाकृत कम है। जयशंकर ने इसे संतुलित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
मेक इन इंडिया: रूसी कंपनियों के लिए सुनहरा अवसर
भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल ने विदेशी कंपनियों के लिए एक आकर्षक माहौल बनाया है। ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उत्पादन, ऊर्जा, और आईटी सेक्टर जैसे क्षेत्रों में भारत तेजी से एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है।
जयशंकर ने भारत और रूस के बीच मजबूत रिश्तों की तारीफ की, लेकिन व्यापार में कमी को भी उजागर किया।
जयशंकर ने कहा कि, , “भारत और रूस ने बड़े देशों के बीच सबसे स्थिर रिश्तों को पोषित किया है, ये बात अब दुनिया मानती है। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि आर्थिक सहयोग उतना ही मजबूत है। हमारा व्यापार सीमित है और हाल तक व्यापार की मात्रा भी कम थी।”
विदेश मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में व्यापार बढ़ा है, लेकिन व्यापार घाटा भी बढ़ा है। अब हमें व्यापार को विविध और संतुलित करने के लिए और जोरदार कोशिशें करनी होंगी। ये न केवल ऊंचे व्यापारिक लक्ष्यों के लिए जरूरी है, बल्कि मौजूदा स्तर को बनाए रखने के लिए भी जरूरी है।”
बता दें कि, अमेरिका के टैरिफ वॉर ने भले ही भारत के लिए चुनौतियां खड़ी की हों, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस को भारत की अर्थव्यवस्था से जोड़कर इसे अवसर में बदल दिया। यह कदम न केवल भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को भी और मजबूत करेगा।
वही, अमेरिका के टैरिफ वॉर ने भले ही भारत के लिए चुनौतियां खड़ी की हों, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस को भारत की अर्थव्यवस्था से जोड़कर इसे अवसर में बदल दिया। यह कदम न केवल भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को भी और मजबूत करेगा।