समाचार मिर्ची

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संसद का शीतकालीन सत्र 2025 आज से शुरू हो रहा है, और सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए विपक्ष पर तीखा कटाक्ष किया। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि यह सत्र मात्र औपचारिकता नहीं, बल्कि देश की प्रगति को तेज गति देने का एक सुनहरा अवसर है। 1 दिसंबर से शुरू होने वाला यह शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा, जिस दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक सदन में पेश किए जाएंगे और मौजूदा नीतिगत मसलों पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा – विपक्ष भी अपना दायित्व निभाए, चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाए. पराजय की निराशा से बाहर निकलकर आएं। दुर्भाग्य ये है कि 1-2 दल तो ऐसे हैं कि वो पराजय भी नहीं पचा पाते. मैं सोच रहा था कि बिहार के नतीजों को इतना समय हो गया, तो अब थोड़ा संभल गए होंगे. लेकिन, कल जो मैं उनकी बयानबाजी सुन रहा था, उससे लगता है कि पराजय ने उनको परेशान करके रखा है.. उनसे मेरा आग्रह है कि पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए.

बिहार का ज़िक्र करते हुए विपक्ष पर हमला

सत्र शुरू होने से ठीक पहले पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा और हाल ही में हुए बिहार के चुनावों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष—दोनों को अपनी भूमिका गंभीरता से निभानी चाहिए।

शीतकालीन सत्र में कौन-कौन से बड़े बिल आएंगे?

सरकारी सूत्रों के अनुसार इस सत्र में लगभग 20 से अधिक विधेयक पर विचार हो सकता है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • रोजगार सृजन और कौशल विकास से जुड़े नए प्रस्ताव
  • डिजिटल सुरक्षा और साइबर कानूनों में संशोधन
  • कृषि क्षेत्र में तकनीकी सुधारों से जुड़े बिल
  • महिला सुरक्षा और न्याय से जुड़े सख्त प्रावधान
  • कर-संबंधी सुधार और पारदर्शिता पर आधारित विधेयक
  • शिक्षा क्षेत्र में नए ढाँचे को लेकर संशोधन

इसके अलावा, संसद में सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं पर चर्चा भी प्रस्तावित होगी।

बता दें कि, संसद का शीतकालीन सत्र 2025 कई मायनों में महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विपक्ष पर सख्त रुख और विकास-उन्मुख संदेश यह दिखाता है कि सरकार इस बार बड़े फैसले लेने की तैयारी में है। दूसरी ओर, विपक्ष अपनी आवाज़ तेज करने को तैयार बैठा है। ऐसे में यह सत्र राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय और विधायी दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण रहने वाला है।देश की नज़र अब संसद पर है—क्या यह सत्र विकास की रफ्तार बढ़ाएगा या राजनीतिक टकराव हावी रहेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।

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