नई दिल्ली – भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर विवादों में आए मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी फटकार मिली है। कोर्ट ने मंत्री द्वारा दाखिल माफीनामे को सिरे से खारिज करते हुए उसे “बचने का तरीका” बताया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को अपने शब्दों की गरिमा बनाए रखनी चाहिए और सेना जैसे संवेदनशील संस्थानों पर टिप्पणी करते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
क्या है मामला?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान पर भारतीय सेना की सटीक कार्रवाई की जानकारी मीडिया को देने वाली सेना अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने देशभर में प्रशंसा बटोरी थी। लेकिन इस बीच मध्यप्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय शाह ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इस महिला सैन्य अधिकारी को लेकर अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिससे न सिर्फ फौज का अपमान हुआ बल्कि आम नागरिकों में भी आक्रोश फैल गया।
इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं और कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने इस पर सार्वजनिक तौर पर असहमति जताई। इसके बाद मंत्री विजय शाह ने माफी मांगी, लेकिन मामला यहीं नहीं रुका।
उच्च न्यायालय का आदेश और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 14 मई को इस मामले पर सुनवाई करते हुए विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इस आदेश को चुनौती देने के लिए विजय शाह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां उन्हें राहत मिलने की जगह और कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा।
सुनवाई के दौरान विजय शाह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मंत्री ने माफी मांग ली है, लेकिन न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा:
“यह कैसी माफी है? सिर्फ इसलिए कि आप कोर्ट में आ रहे हैं, आप माफीनामा दे रहे हैं। हमें आपकी माफी नहीं चाहिए। आप एक जिम्मेदार नेता हैं, आपको अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए।”
SIT के गठन का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने का भी आदेश दिया है। यह SIT मध्यप्रदेश के बाहर के तीन वरिष्ठ IPS अधिकारियों की टीम होगी, जिसमें एक महिला अधिकारी भी शामिल होंगी। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि SIT मंगलवार सुबह 10 बजे तक गठित की जाए और मामले की स्टेटस रिपोर्ट 28 मई तक कोर्ट में दाखिल की जाए।
वीडियो साक्ष्य की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि विजय शाह जो माफी मांगने का दावा कर रहे हैं, उसका वीडियो प्रस्तुत करें। कोर्ट ने कहा:
“हमें जानना है कि आपने कैसे माफी मांगी है। कुछ लोग इशारों से माफी मांगते हैं, कुछ घड़ियाली आंसू बहाते हैं। हम देखना चाहते हैं कि आपने कितनी गंभीरता से खेद प्रकट किया है।”
यह टिप्पणी यह स्पष्ट करती है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा न मानकर सेना के सम्मान और सार्वजनिक आचरण से जुड़ा मामला मान रही है।
कोर्ट की तीखी टिप्पणी: ‘पूरे देश को शर्मिंदा किया’
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान तीखे शब्दों में कहा:
“आपने जो भाषा इस्तेमाल की, वह बेहद निम्नस्तर की थी। आप एक जिम्मेदार नेता हैं, आपको शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। देश की सेना हमारे गर्व का प्रतीक है, वे सीमाओं पर अपनी जान जोखिम में डालते हैं। ऐसे में सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान देना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
“आपका बयान सिर्फ एक महिला अधिकारी नहीं, बल्कि पूरे सैन्य बल और देश की भावना का अपमान है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस पूरे मामले को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा और मुख्यमंत्री को निशाने पर लिया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि,
“यह सिर्फ मंत्री की व्यक्तिगत गलती नहीं, बल्कि भाजपा के नेतृत्व की सोच का प्रतिबिंब है। अगर पार्टी को वाकई महिलाओं और सेना के सम्मान की परवाह होती, तो विजय शाह को अब तक मंत्री पद से हटा दिया गया होता।”
वहीं भाजपा की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व इस पूरे घटनाक्रम से असहज है।
जनता में रोष और सामाजिक प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर हजारों यूजर्स ने विजय शाह के खिलाफ नाराज़गी जताई है। ट्विटर पर #ShameOnVijayShah और #RespectIndianArmy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने कर्नल सोफिया के साहस की सराहना करते हुए उन्हें भारत की “वीर नारी” बताया।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक अत्यंत सम्मानित अधिकारी हैं। वे कई वर्षों से सेना में सेवा दे रही हैं और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के लिए भारत की पहली महिला सैन्य पर्यवेक्षक दल की प्रमुख रह चुकी हैं। ऑपरेशन सिंदूर में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मीडिया को भी सेना की कार्रवाई की जानकारी देकर जनता में पारदर्शिता लाई।