एआई के मिसयूज से पूरी दुनिया के सामने एक चैलेंज खड़ा कर दिया है हर क्षेत्र में इससे खतरा दिखता नजर आ रहा है वहीं अहब सुपरपावर अमेरिका के राष्ट्रपति ने कुछ ऐसा कर दिया है हर कोई उनकी आलोचना कर रहा है।
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो शेयर कर दिया कि पूरी दुनियाभर में उनकी चर्चा और आलोचना दोनों होने लगी। इतना ही नहीं अमेरिकी राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। दरअसल, यह वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से तैयार किया गया था, जिसमें दिखाया गया कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में एफबीआई एजेंट गिरफ्तार कर रहे हैं। वीडियो में ओबामा को जबरन नीचे गिराकर हथकड़ियां लगाई जाती हैं और पास में ही बैठे डोनाल्ड ट्रम्प यह सब देखकर मुस्कुराते नजर आते हैं। अब आप भी सोच रहे होंगे कि क्या दुनिया की महाशक्ति का एक मुखिया क्या ऐसा भी कर सकता है भला मगर ये हकिकत में घटी घटना है।
इस वीडियो की वजह से ट्रम्प की खुद उनके देश अमेरिका और दुनिया भर के देशों में खूब आलोचना हो रही है। कई लोगों ने इसे ‘उकसाने वाला’ बताया और कहा कि एक राष्ट्रपति का इस तरह के फर्जी वीडियो शेयर करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है। ट्रम्प ने कुछ हफ्ते पहले ही ओबामा पर प्रशासन पर 2016 के चुनाव में उनके खिलाफ चुनावी धोखाधड़ी की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इससे पहले अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने भी ट्रम्प पर 2016 के चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया।
बता दें कि, वीडियो के अंत में ओबामा जेल की नारंगी पोशाक पहने एक जेल सेल के भीतर दिखाई देते हैं। इस पूरे दृश्य के साथ ओबामा और अन्य डेमोक्रेटिक नेताओं के पुराने बयान भी जोड़े गए हैं, जिनमें वे कहते हैं कि “कोई भी, राष्ट्रपति भी, कानून से ऊपर नहीं है।”
वही. ट्रम्प ने इस वीडियो को शेयर करने के बाद अब तक कोई सफाई नहीं दी है। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह वीडियो सिर्फ एक काल्पनिक दृश्य है और इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। ट्रम्प समर्थकों का दावा है कि यह वीडियो केवल एक राजनीतिक व्यंग्य है, जबकि विरोधियों का कहना है कि यह जानबूझकर किया गया दुष्प्रचार है।
ट्रम्प के इस वीडियो ने अमेरिकी राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। यह घटना सिर्फ ट्रम्प और ओबामा के बीच की रंजिश नहीं है, बल्कि यह उस बड़ी चुनौती का संकेत है जिसका सामना पूरी दुनिया कर रही है – तकनीक के ज़रिए सच और झूठ के बीच की रेखा धुंधली हो जाना।