दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बार उन्होंने पाकिस्तान के साथ एक बड़ी ऑयल डील की घोषणा की है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए संदेश में कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान में “विशाल तेल भंडार” विकसित करेंगे। ट्रंप ने मजाकिया लहजे में यह भी जोड़ा कि “शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को भी तेल बेचे।”
इससे पहले ट्रंप ने भारत पर टैरिफ को लेकर कहा था कि भारत मित्र देश हैं। हालांकि उन्होंने टैरिफ में किसी राहत से इनकार कर दिया था। अब ट्रंप पाकिस्तान के साथ ऑयल डील की बात कह रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे। हालांकि, यह साफ नहीं है कि ट्रंप किन तेल भंडारों की बात कर रहे हैं।
अमेरिका-पाकिस्तान ऑयल डील: क्या है मामला?
ट्रंप के अनुसार, अमेरिका और पाकिस्तान एक समझौते पर पहुंचे हैं जिसके तहत दोनों देश पाकिस्तान के तेल भंडारों की खोज और विकास करेंगे। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ये तेल भंडार कहां स्थित हैं और उनकी वास्तविक क्षमता कितनी है। हालांकि, ट्रंप के बयान ने यह संकेत जरूर दिया है कि पाकिस्तान में ऊर्जा संसाधनों की खोज की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान लंबे समय से ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। देश की बिजली उत्पादन क्षमता मांग के मुकाबले कम रही है और विदेशी मुद्रा भंडार पर बढ़ते आयात खर्च का दबाव है। ऐसे में अगर पाकिस्तान अपने तेल भंडार विकसित करने में सफल होता है तो न केवल उसकी घरेलू जरूरतें पूरी होंगी बल्कि वह निर्यातक देश बनने की ओर भी बढ़ सकता है।
ट्रंप ने अपने बयान में मजाकिया अंदाज में कहा, “कौन जानता है, एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे।” यह बयान भले ही हल्के-फुल्के अंदाज में दिया गया हो, लेकिन इसके निहितार्थ गंभीर हैं। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 85% से अधिक हिस्सा आयात पर निर्भर करता है। अभी भारत का प्रमुख कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता देश इराक, सऊदी अरब और रूस हैं। यदि भविष्य में पाकिस्तान सचमुच भारत को तेल निर्यात करता है तो यह उपमहाद्वीप की राजनीति और अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव होगा।
बता दें कि, ट्रंप का पाकिस्तान के साथ ऑयल डील करने का ऐलान केवल एक व्यापारिक समझौता नहीं बल्कि एक बड़े कूटनीतिक खेल का हिस्सा है। भारत के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति है। एक ओर ऊर्जा की जरूरतें हैं, दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ संबंधों की जटिलता। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पाकिस्तान सचमुच तेल निर्यातक देश बन पाएगा और क्या भारत उसके ग्राहकों की सूची में शामिल होगा।