हाल ही में, खासकर हिमाचल प्रदेश के बल्ह घाटी में, टमाटर का बंपर उत्पादन हुआ है, जिससे किसानों को अच्छी कमाई हो रही है और बाजार में टमाटर की कीमतें कम हो गई हैं.
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में इस साल टमाटर की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन इसके बावजूद भी किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. अम्बिकापुर क्षेत्र में टमाटर महज 4-5 रुपए प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.
असल में, इस साल टमाटर की अच्छी पैदावार होने के कारण बाजार में इसकी मांग कम हो गई है. अन्य राज्यों में भी टमाटर की अधिक उपज होने के कारण छत्तीसगढ़ के किसान अपनी फसल को दूसरे राज्यों की मंडियों तक नहीं भेज पा रहे हैं. इस वजह से खेतों में पके हुए टमाटर सड़ने लगे हैं और किसानों को उन्हें फेंकने के अलावा कोई चारा नहीं दिख रहा है.
किसान ललन बताते हैं कि इस बार टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर की गई है, जिससे मार्केट में टमाटर का रेट 2-4 रुपए किलो ही रह गया है. हमने कई एकड़ पर फसल लगाई थी, जो अब धीरे-धीरे बर्बाद हो रही है. हमने टमाटर की फसल लगाने से पहले महंगे खाद का उपयोग किया था, लेकिन अब लागत भी निकलना मुश्किल नजर आ रहा है. टमाटर की बंपर पैदावार किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है. किसान चाहते हैं कि बाजार में टमाटर का रेट अच्छा हो, ताकि लागत भी निकल जाए और कुछ आमदनी भी हो जाए, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा.
किसान दो सीज़न में टमाटर की खेती करते हैं, जिसमें बरसात के समय होने वाली खेती में उन्हें बंपर मुनाफा होता है, लेकिन ठंड के समय की टमाटर की खेती में मुनाफा तो दूर, लागत भी नहीं निकल रही है. किसानों ने सरकार से मांग की है कि वह टमाटर की खरीदी के लिए उचित दाम तय करे और उनकी फसल को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो उनकी स्थिति और भी बदतर हो जाएगी. इस समय हालत यह है कि टमाटर बाजार में नहीं बिकने के कारण किसानों को सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, लागत नहीं निकल पा रही है. इससे किसानों ने टमाटर की तुड़ाई भी रुकवा दी है, जिससे खेतों में ही टमाटर सड़ने लगे हैं.