अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका और रूस के रिश्ते हमेशा से केंद्र में रहे हैं। वैश्विक शक्ति संतुलन और यूक्रेन युद्ध जैसी ज्वलंत परिस्थितियों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं। शुक्रवार को अलास्का में दोनों नेताओं की ऐतिहासिक बैठक हुई, जो करीब तीन घंटे तक चली। इस लंबी वार्ता के बाद हालांकि कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया, लेकिन दोनों पक्षों ने संकेत दिए कि बातचीत का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
वहीं, पुतिन ने कहा कि उनके लिए रूस की सुरक्षा सबसे जरूरी है। उन्होंने अगली मीटिंग मॉस्को में करने का सुझाव दिया। अपनी बात कहने के बाद दोनों नेता मंच से तुरंत चले गए। पुतिन शनिवार को करीब 10 साल बाद अमेरिका पहुंचे। यहां उनका B-2 बॉम्बर एयरक्राफ्ट से स्वागत किया गया। उनके रेड कार्पेट पर आते ही ट्रम्प ने तालियां बजाईं। फिर पुतिन, ट्रम्प की कार में बैठकर मीटिंग के लिए रवाना हो गए।
अलास्का की बर्फीली वादियों में आयोजित इस बैठक का मुख्य फोकस यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की संभावनाओं पर रहा। तीन घंटे चली इस वार्ता के बाद ट्रम्प और पुतिन ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन यह महज 12 मिनट तक ही चली। सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि इस दौरान किसी भी पत्रकार को सवाल पूछने का मौका नहीं दिया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुतिन ने प्रस्ताव रखा कि अगली बैठक मॉस्को में हो सकती है। उनका कहना था कि रूस चाहता है कि अमेरिका के साथ बातचीत खुलेपन और विश्वास के आधार पर आगे बढ़े। हालांकि उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि किसी भी समझौते से पहले रूस की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का समाधान होना जरूरी है।
अलास्का में हुई ट्रम्प-पुतिन मुलाकात भले ही किसी समझौते पर खत्म नहीं हुई, लेकिन इसने दुनिया को यह संकेत जरूर दिया कि संवाद जारी है। तीन घंटे की बैठक और केवल 12 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने यह भी दिखाया कि मुद्दे बेहद संवेदनशील हैं और इन्हें सुलझाने के लिए समय लगेगा।