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अमेरिका ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ उसके बढ़ते रिश्ते भारत की कीमत पर नहीं होंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शनिवार को दिए एक बयान में कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान के साथ अपने कूटनीतिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि भारत के साथ उसकी दोस्ती कमजोर हो जाएगी। रुबियो ने कहा कि भारत एक परिपक्व और समझदार साझेदार है, जो यह जानता है कि दुनिया में हर देश को अलग-अलग देशों के साथ रिश्ते बनाए रखने होते हैं।

इसी साल मई में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। ट्रम्प ने 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने का दावा किया था, पाकिस्तान ने इस दावे का सपोर्ट किया और ट्रम्प को नोबेल के लिए नॉमिनेट भी किया। वहीं, जून में पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने ट्रम्प से सीक्रेट मुलाकात की थी। इसके बाद सितंबर में शहबाज शरीफ और मुनीर ने व्हाइट हाउस में ट्रम्प के साथ बैठक की थी, इस बैठक में शरीफ ने ट्रम्प को शांति दूत कहा था।

भारत की कीमत पर नहीं होगी पाकिस्तान से दोस्ती

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब अमेरिका इस सहयोग को और आगे बढ़ाना चाहता है, लेकिन इससे भारत के साथ उसके संबंधों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

भारत की परिपक्व डिप्लोमेसी की तारीफ

जब रुबियो से पूछा गया कि क्या भारत ने अमेरिका-पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों को लेकर कोई चिंता जताई है, तो उन्होंने साफ कहा कि भारत की डिप्लोमेसी बहुत परिपक्व है। उन्होंने कहा, “भारतीय कूटनीति में समझदारी है। वे जानते हैं कि हमें दुनिया के कई देशों से रिश्ते रखने पड़ते हैं, जैसे उनके भी कई देशों के साथ संबंध हैं। यही समझदारी भरी विदेश नीति का हिस्सा है।”

रुबियो ने कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नया विषय नहीं है। दोनों देशों के बीच कई दशकों से मतभेद हैं। लेकिन हमारा काम है कि हम जितने देशों के साथ संभव हो, दोस्ती के रास्ते तलाशें। हम पाकिस्तान के साथ आतंकवाद के खिलाफ काम करते आए हैं और इसे आगे भी बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन यह भारत या किसी अन्य देश के साथ हमारी साझेदारी के खिलाफ नहीं होगा।”

पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में गर्मजोशी की शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर के बाद देखी गई। मई 2025 में भारत द्वारा किए गए इस सैन्य अभियान के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने में भूमिका निभाई। पाकिस्तान ने इस दावे का समर्थन किया और ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी किया था।

बता दें कि, अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि अमेरिका का पाकिस्तान से संवाद बढ़ाना कोई असामान्य बात नहीं है। अमेरिका को अफगानिस्तान, आतंकवाद और चीन की क्षेत्रीय भूमिका को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान के साथ सहयोग की जरूरत है। हालांकि विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि आज का भारत, 1990 के दशक का भारत नहीं है। आज भारत विश्व राजनीति में एक बड़ा आर्थिक और सामरिक खिलाड़ी बन चुका है। अमेरिका भी यह जानता है कि भारत के साथ साझेदारी उसकी इंडो-पैसिफिक रणनीति का अहम हिस्सा है। इसलिए पाकिस्तान से बढ़ती निकटता भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं डालेगी।

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