तमिलनाडु की राजनीति में एक बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला है। विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले टीटीवी दिनाकरन की पार्टी अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कड़गम (AMMK) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग होने का ऐलान कर दिया है। यह फैसला तमिलनाडु की राजनीति में नए समीकरण बनाने वाला साबित हो सकता है, खासकर तब जब 2026 में राज्य में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
बता दें कि, तमिलनाडु की सियासत में विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले एक बड़ा उलटफेर हुआ है। टीटीवी दिनाकरन की अगुवाई वाली अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कड़गम यानी कि AMMK ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया। दिनाकरन ने BJP पर ‘धोखा’ देने का इल्जाम लगाया और कहा कि उनकी पार्टी अब इस गठबंधन यानी कि NDA का हिस्सा नहीं रहेगी। बता दें कि AMMK ने 2024 के लोकसभा चुनावों में 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली थी। बता दें कि अप्रैल 2026 के आसपास तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं।
NDA से लगातार टूटते रिश्ते
AMMK का NDA से बाहर होना भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे पहले अन्नाद्रमुक के बागी नेता ओ. पन्नीरसेल्वम (OPS) ने भी अपनी पार्टी को NDA से अलग कर लिया था। ऐसे में यह NDA के भीतर से एक और सहयोगी का जाना है।
जानकारी दे दें कि, अप्रैल 2026 में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले इस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम राज्य की सियासत को और जटिल बना देते हैं। AMMK भले ही अभी तक चुनावों में बड़ी सफलता नहीं हासिल कर पाई हो, लेकिन यह पार्टी जयललिता की छवि और अन्नाद्रमुक से टूटे नेताओं के समर्थन के कारण एक खास वोट बैंक पर असर डाल सकती है।
बताते चले कि, AMMK का NDA से बाहर होना तमिलनाडु की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को यह झटका उसके गठबंधन की ताकत पर सीधा असर डाल सकता है। दिनाकरन का आरोप और पार्टी की रणनीति यह संकेत देते हैं कि आने वाले महीनों में तमिलनाडु की सियासत और गरम होने वाली है।
