नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, भूविज्ञान, खनन और खनिज, तथा DoTCL विभाग के मंत्री वांगकी लोवांग ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, और विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह जी के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। यह मुलाकात पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास, और अरुणाचल प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित की गई।

बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने वन संरक्षण में स्थानीय समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका पर विशेष जोर दिया। मंत्री लोवांग ने अरुणाचल प्रदेश के घने जंगलों और समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की। उन्होंने स्थानीय समुदायों को वन संरक्षण और वन्यजीव सुरक्षा गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने उन्नत तकनीकों, जैसे कि ड्रोन निगरानी और सैटेलाइट मैपिंग, के उपयोग से वन और वन्यजीव सुरक्षा को और सशक्त करने की दिशा में किए जा रहे नवाचारों के बारे में भी केंद्रीय मंत्री को बताया।
केंद्रीय मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने भी अरुणाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की और केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का भरोसा दिया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय के महत्व को महत्वपूर्ण बताया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए शैक्षिक और सामुदायिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने पर बल दिया।
इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संयुक्त रणनीतियों पर भी विचार-विमर्श किया। मंत्री लोवांग ने अरुणाचल प्रदेश में खनन और भूविज्ञान क्षेत्र में जिम्मेदार और पर्यावरण-अनुकूल योजनाओं को अपनाने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते समय पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठा रही है।
बैठक के अंत में, दोनों नेताओं ने पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से निपटने, और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच निरंतर सहयोग और संवाद की आवश्यकता पर सहमति जताई। यह मुलाकात अरुणाचल प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और देश के पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।