नई दिल्ली भारत को सच्ची आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और विश्व को अपनी ओर निर्भर बनाने के लिए भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपनाना होगा। लेखक दिव्य कुमार सोती के अनुसार, किसी भी क्षेत्र में अग्रणी बनने वाला देश ही वास्तव में आत्मनिर्भर होता है। यदि भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनना है, तो हमें आज से 10-20 वर्ष बाद की वैश्विक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उन तकनीकों में अभी से अनुसंधान और निवेश करना होगा।
वही, दूसरी ओर, भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ा है। अमेरिका भारत को अपनी सामरिक साझेदारी का महत्वपूर्ण भाग मानता है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया – जिसमें 25 प्रतिशत रूसी तेल आयात के कारण दंडात्मक है। चीन पर टैरिफ कम होने के बावजूद भारत पर अधिक लगाना आश्चर्यजनक है। भारत और चीन दोनों रूस से तेल आयात कर रहे हैं, लेकिन अमेरिकी दबाव मुख्य रूप से भारत पर है।
, जानकारी दें दें कि, भारत की युवा जनसंख्या और डिजिटल क्रांति बड़ा फायदा है। हम दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम रखते हैं। यदि हम भविष्य की तकनीकों में अग्रणी बनें, तो न केवल आत्मनिर्भर होंगे, बल्कि विश्व को अपनी तकनीक निर्यात कर महाशक्ति बनेंगे।वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत को संतुलित विदेश नीति अपनानी होगी। अमेरिका, क्वाड और यूरोप के साथ साझेदारी मजबूत करें, साथ ही ब्रिक्स और रूस-चीन के साथ संबंध बनाए रखें। लेकिन अंततः मजबूती आंतरिक होगी – नवाचार और अनुसंधान से।
बता दें कि, आत्मनिर्भरता का अर्थ दुनिया से कट जाना नहीं, बल्कि दुनिया के साथ बराबरी और आत्मविश्वास के साथ खड़ा होना है। भारत को आज यह तय करना होगा कि वह केवल एक बड़ा बाजार बनकर रहेगा या भविष्य की तकनीकों का नेतृत्व करेगा। सही नीति, दूरदृष्टि और निरंतर निवेश के साथ भारत निश्चित ही एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
