मध्य प्रदेश के मंदसौर में ED ने शराब ठेकेदारों से जुड़ी 11 जगहों पर छापा मारा है। इस दौरान कुछ जब्ती भी की गई है। शराब ठेकेदार काफी समय से राजस्व चुरा कर सरकार को चकमा देते आ रहे थे। उनके खिलाफ PMLA के तहत शिकायत भी दर्ज की गई थी। मामले पर एक्शन लेते हुए ED ने शराब ठेकेदारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
मध्य प्रदेश के कई जिलों में शराब बैन होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी एक्टिव मोड में आ गया है। ED ने मंदसौर में कई जगहों पर छापेमारी की है। इस दौरान शराब ठेकेदारों से जुड़े 11 परिसरों की तलाशी ली गई और कई चीजें जब्त भी कर ली गई हैं। शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज FIR के आधार पर ED ने यह जांच शुरू की है।
शराब ठेकेदारों पर लगे आरोप
मंदसौर के कई शराब ठेकेदारों पर आरोप है कि उन्होंने जालसाजी और हेरफेर के जरिए सरकारी राजस्व को 49,42,45,615 रुपये का नुकसान पहुंचाया है। साथ ही शराब ठेकेदारों ने वित्त वर्ष 2015-16 से वित्त वर्ष 2017-18 के बीच शराब अधिग्रहण के लिए अवैध रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल किया है। इन्हीं अपराधों के मद्देनजर शराब ठेकेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है।
ED की शुरुआती जांच में कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए हैं। मसलन शराब ठेकेदार कम पैसों का चालान भरते थे और फिर चालान की रकम को बढ़ाकर आबकारी कार्यालय में जमा करते थे। पहले ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान कटवाते थे और फिर चालान की रसीद में रकम बढ़ाकर आबकारी कार्यालय में जमा कर देते थे। मगर अब ED ने इस जालसाजी का भंडाफोड़ कर दिया है।
PMLA के तहत दर्ज हुआ मामला
इन सभी शराब ठेकेदारों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसी कड़ी में
कैसे करते थे धोखाधड़ी?
मामले में की गई जांच में पता चला कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी रकम के चालान बैंक में जमा करवाते थे। चालान में “रुपये अंकों में” और “रुपये शब्दों में” लिखे होते थे। मूल्य अंकों में भरा जाता था, लेकिन “रुपये शब्दों में” को काली छोड़ दिया जाता था।
बढ़ाई जाती थी चालान की राशि
राशि जमा करवाने के बाद शराब ठेकेदार उक्त खाली स्थान में बढ़ी हुई राशि लाख-हजार के रूप में लिख देते थे और ऐसी बढ़ी हुई राशि के चालान की कॉपियां संबंधित देशी शराब गोदाम या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में जमा करवा देते थे।