समाचार मिर्ची

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में राज्य ने मतदान का नया इतिहास रच दिया है। गुरुवार को हुए पहले चरण के मतदान में 64.69 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो 1952 के बाद का सबसे ऊंचा मतदान प्रतिशत है। इस रिकॉर्ड ने न केवल बिहार की लोकतांत्रिक परिपक्वता को दर्शाया, बल्कि मतदाताओं की भागीदारी के प्रति बढ़ते रुझान को भी साबित किया।

वहीं, अगर विधानसभा चुनाव की बात करें तो आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2000 के चुनाव में 62.57 प्रतिशत वोट पड़े थे। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया कि यह अंतरिम आंकड़ा है।

इन आंकड़ों में बदलाव संभव हैं। पटना जिले में 58.40 प्रतिशत मतदान हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां उत्साह दिखा वहीं शहरी क्षेत्र उदासीन बना रहा। प्रदेश में सबसे कम मतदान कुम्हरार (39.57 प्रतिशत), बांकीपुर (40.97) और दीघा (41.4 प्रतिशत) में हुआ।

64.69% मतदान: बिहार के इतिहास में नया रिकॉर्ड

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया कि यह आंकड़ा अंतरिम है और अंतिम प्रतिशत में मामूली बदलाव संभव हैं। उन्होंने बताया कि मतदाताओं की इतनी बड़ी संख्या में भागीदारी पिछले 27 वर्षों में पहली बार देखने को मिली है।

इससे पहले 1998 के लोकसभा चुनाव में 64.66 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। वहीं, 2000 के विधानसभा चुनाव में 62.57 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला था। ऐसे में 2025 का यह चुनाव बिहार की राजनीति के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ गया है।

गुंजियाल ने कहा, “मतदान प्रक्रिया सुचारू रूप से चली। आयोग ने हर जिले में सुरक्षा और निगरानी के सख्त इंतजाम किए थे। वेबकास्टिंग के जरिए 90% से अधिक मतदान केंद्रों की लाइव मॉनिटरिंग की गई।”


मुजफ्फरपुर टॉप पर, पटना शहर में निराशा

मुजफ्फरपुर जिले में सबसे ज्यादा मतदान हुआ, जिससे यह राज्य में शीर्ष पर रहा। वहीं पटना जिले में 58.40 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।

गांवों में जहां लोगों ने सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लगाईं, वहीं शहरी इलाकों में उदासीनता देखने को मिली।

पटना के कुम्हरार (39.57%), बांकीपुर (40.97%) और दीघा (41.4%) विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम मतदान हुआ। यह आंकड़े शहरी मतदाताओं की मतदान के प्रति कम दिलचस्पी को दिखाते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, शहरी मतदाताओं में राजनीति के प्रति उदासीनता और उम्मीदवारों को लेकर निराशा प्रमुख कारण हैं। इसके उलट ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और युवाओं ने रिकॉर्ड संख्या में मतदान कर लोकतंत्र की मजबूती का संदेश दिया।


डिप्टी CM के काफिले पर हमला बना चर्चा का विषय

पहले चरण के मतदान के दिन ही राज्य में एक अप्रिय घटना भी हुई। खबरों के अनुसार, उपमुख्यमंत्री के काफिले पर सारण जिले में पथराव हुआ, जिससे राजनीतिक माहौल कुछ समय के लिए गर्म हो गया। हालांकि, किसी के घायल होने की सूचना नहीं है और सुरक्षा बलों ने तुरंत स्थिति को नियंत्रण में ले लिया।

इस घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। प्रशासन ने बताया कि यह हमला स्थानीय उपद्रवियों द्वारा किया गया, जिसका मकसद मतदान प्रक्रिया में बाधा डालना था।

डिप्टी सीएम ने इसे “लोकतंत्र विरोधी हरकत” बताते हुए कहा कि जनता का भरोसा हिंसा नहीं, मतदान से तय होगा।


विजय सिन्हा ने लगाए आरोप, RJD ने किया पलटवार

भाजपा नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने आरोप लगाया कि कुछ क्षेत्रों में राजद समर्थकों ने बूथों पर गड़बड़ी की कोशिश की। उन्होंने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करने की बात कही।

वहीं, राजद प्रवक्ता ने इन आरोपों को “राजनीतिक ड्रामा” बताते हुए कहा कि भाजपा हार के डर से ऐसे बयान दे रही है।

चुनाव के बीच यह आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा, लेकिन आयोग ने स्पष्ट किया कि अब तक कोई गंभीर गड़बड़ी की रिपोर्ट नहीं मिली है।


वेबकास्टिंग और अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी

इस बार बिहार चुनाव में तकनीक का भरपूर इस्तेमाल हुआ। राज्य के अधिकांश मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग सुविधा का उपयोग किया गया ताकि किसी भी गड़बड़ी पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने भी इस प्रक्रिया की सराहना की। उन्होंने बिहार में चुनावी प्रक्रिया को “लोकतंत्र का उत्सव” बताया और कहा कि भारत की चुनावी व्यवस्था दुनिया के लिए एक उदाहरण है।

गुंजियाल ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने खासतौर पर मतदान केंद्रों पर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की तारीफ की।”


महिला और युवा मतदाता बने केंद्र में

इस बार के चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही। कई जिलों में महिला मतदान प्रतिशत 66 से 68 तक पहुंचा। इसके अलावा, पहली बार मतदान करने वाले युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

राज्य भर में 3.25 करोड़ से अधिक मतदाता पहले चरण में अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं। इसमें लगभग 1.57 करोड़ महिला मतदाता शामिल हैं।

यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि बिहार के युवा और महिलाएं अब राजनीति में सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।


शांतिपूर्ण मतदान पर आयोग ने जताई संतुष्टि

चुनाव आयोग ने पहले चरण के मतदान को लेकर संतोष जताया है। आयोग के अनुसार, कुछ जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में तकनीकी दिक्कतें आईं, जिन्हें तुरंत ठीक कर दिया गया।

राज्य के 38 जिलों में कुल 71 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ। सभी मतदान केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी।

कुल मिलाकर, पहले चरण का मतदान बिहार के लिए एक लोकतांत्रिक सफलता साबित हुआ। आयोग ने मतदाताओं, राजनीतिक दलों और सुरक्षा बलों को धन्यवाद दिया।


निष्कर्ष: लोकतंत्र का पर्व बना बिहार चुनाव 2025 का पहला चरण

बिहार में पहला चरण इस बात का प्रतीक बन गया कि जनता अब अपने अधिकारों को लेकर पहले से ज्यादा सजग है। जहां ग्रामीण इलाकों ने लोकतंत्र को मजबूत किया, वहीं शहरी मतदाताओं की उदासीनता भविष्य की चुनौती बनी हुई है।

अब सभी की निगाहें दूसरे चरण के मतदान पर हैं, जहां यह तय होगा कि यह रिकॉर्ड तोड़ेगा या नहीं। लेकिन एक बात तय है—बिहार ने लोकतंत्र के इस पर्व को उत्सव की तरह मनाया है।


वेबकास्टिंग और अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी

इस बार बिहार चुनाव में तकनीक का भरपूर इस्तेमाल हुआ। राज्य के अधिकांश मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग सुविधा का उपयोग किया गया ताकि किसी भी गड़बड़ी पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने भी इस प्रक्रिया की सराहना की। उन्होंने बिहार में चुनावी प्रक्रिया को “लोकतंत्र का उत्सव” बताया और कहा कि भारत की चुनावी व्यवस्था दुनिया के लिए एक उदाहरण है।

गुंजियाल ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने खासतौर पर मतदान केंद्रों पर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की तारीफ की।”

महिला और युवा मतदाता बने केंद्र में

इस बार के चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही। कई जिलों में महिला मतदान प्रतिशत 66 से 68 तक पहुंचा। इसके अलावा, पहली बार मतदान करने वाले युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

राज्य भर में 3.25 करोड़ से अधिक मतदाता पहले चरण में अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं। इसमें लगभग 1.57 करोड़ महिला मतदाता शामिल हैं।

यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि बिहार के युवा और महिलाएं अब राजनीति में सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।

शांतिपूर्ण मतदान पर आयोग ने जताई संतुष्टि

चुनाव आयोग ने पहले चरण के मतदान को लेकर संतोष जताया है। आयोग के अनुसार, कुछ जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में तकनीकी दिक्कतें आईं, जिन्हें तुरंत ठीक कर दिया गया।

राज्य के 38 जिलों में कुल 71 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ। सभी मतदान केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी।

कुल मिलाकर, पहले चरण का मतदान बिहार के लिए एक लोकतांत्रिक सफलता साबित हुआ। आयोग ने मतदाताओं, राजनीतिक दलों और सुरक्षा बलों को धन्यवाद दिया।

बता दें कि, बिहार में पहला चरण इस बात का प्रतीक बन गया कि जनता अब अपने अधिकारों को लेकर पहले से ज्यादा सजग है। जहां ग्रामीण इलाकों ने लोकतंत्र को मजबूत किया, वहीं शहरी मतदाताओं की उदासीनता भविष्य की चुनौती बनी हुई है।अब सभी की निगाहें दूसरे चरण के मतदान पर हैं, जहां यह तय होगा कि यह रिकॉर्ड तोड़ेगा या नहीं। लेकिन एक बात तय है—बिहार ने लोकतंत्र के इस पर्व को उत्सव की तरह मनाया है।

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