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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र सीतामढ़ी के बेलसंड में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक भरे हुए जनसमूह को संबोधित करते हुए बड़े वादे और कड़ा रुख दोनों ही दिखाया। उन्होंने अपने भाषण में राज्य के विकास, बाढ़ प्रबंधन और युवाओं के लिए रोजगार के बड़े पैकेज का ऐलान किया और विपक्ष पर तीखा हमला भी किया। इन रैलियों के बीच पहले चरण की मतदान तिथि 6 नवंबर को निश्चित होने के कारण सभी पार्टियों का प्रचार-प्रसार चरम पर है।

रैली में अमित शाह ने केंद्र सरकार की सुरक्षा और विदेश नीति को लेकर भी बातें कीं। उन्होंने कहा कि पहले पाकिस्तान से आतंकी घटनाओं पर सरकारें प्रभावी जवाब नहीं देती थीं, लेकिन अब ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदम उठाकर आतंकवाद का जवाब दिया गया है — यह भाषा चुनावी रुख को उजागर करती है और सुरक्षा मुद्दों को भी वोटबैंक के तौर पर उभारने का प्रयास है। अमित शाह ने यह भी दावा किया कि बिहार से बनने वाला ‘डिफेंस कॉरिडोर’ गोला-बारूद और रक्षा संबंधी सामग्री के निर्माण में महत्वपूर्ण रहेगा।

आए दिन पाकिस्तान के आतंकवादी भारत में घुस जाते थे लेकिन कांग्रेस के लोग जवाब नहीं देते थे। पहलगाम हमले का बदला ऑपरेशन सिंदूर करके मोदी जी ने लिया। पाकिस्तान से गोली चलेगी तो उसका जवाब यहां से गोला चला कर दिया जाएगा। डिफेंस कॉरीडोर बनने के बाद यह गोला बिहार से बनेगा।उन्होंने कहा कि पांच साल में कमीशन बनाकर बाढ़ मुक्त बिहार बनाएंगे। बटन इतनी जोर से दबाना की बटन यहां तब है लेकिन उसका करंट इटली तक पहुंचे।

चुनावी माहौल और मतदाताओं की धारणा
जनसभाओं में बड़े वादे और तीखे आरोप दोनों आम हैं; जनता इन वादों को ध्यान से सुनती है लेकिन वास्तविक वोटिंग निर्णय स्थानीय मुद्दों, उम्मीदवार की साख, जातीय-क्षेत्रीय समीकरण और प्रत्यक्ष लाभ योजनाओं के आधार पर ही बनती है। बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाकों के मतदाता पानी-निकासी, पानी-नल, चुनी हुए प्रतिनिधि के विकास काम व रोज़गार जैसे मुद्दों पर भारी ध्यान देते हैं — इसलिए बाढ़ मुक्ति और रोज़गार जैसे वादे स्वाभाविक रूप से चुनावी भाषा में अहम चमक दिखाते हैं।

बता दें कि, अमित शाह की सीतामढ़ी रैली ने स्पष्ट किया कि एनडीए क्षेत्रीय विकास और सुरक्षा दोनों को प्रमुखता दे रहा है और बुनियादी ढांचे पर बड़े निवेश का वादा कर रहा है। वहीं विपक्ष चुनाव में इन दावों की सच्चाई और लागू करने की योजना पर सवाल उठाएगा। मतदाताओं के लिए निर्णायक बात यह होगी कि किन दावों में शीघ्र और ठोस नतीजे दिखेंगे और किसका प्रभाव उनके रोज़मर्रा के जीवन पर पड़ेगा। चुनावी जंग अभी चरम पर है — 6 नवंबर के पहले चरण के मतदान और 14 नवंबर के मतगणना तक बहस जारी रहने की संभावना है।

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