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बिहार की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने शुक्रवार (30 अगस्त 2024) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद चिराग पासवान ने स्पष्ट कर दिया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “हनुमान” बने रहेंगे और एनडीए (NDA) के साथ उनका रिश्ता अटूट है।

अमित शाह से मुलाकात के मायने

30 अगस्त की शाम दिल्ली में चिराग पासवान और अमित शाह की बैठक ने बिहार की राजनीति में नई हलचल मचा दी। सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने बिहार के मौजूदा राजनीतिक समीकरण, एनडीए की रणनीति और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी पर चर्चा की।

दरअसल, चिराग पासवान ने पिछले कुछ महीनों में तीन मुद्दों पर सरकार के खिलाफ जाकर अपना पक्ष रखा. वह इस दौरान सरकार के खिलाफ ही नजर आए. सबसे पहले उन्होंने कोटे में कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध किया. इसके बाद लेटरल एंट्री के जरिये यूपीएससी की भर्ती का विरोध किया।

‘विभीषण’ से ‘हनुमान’ बनने तक की चर्चा

लोकसभा चुनाव 2024 के बाद बिहार की सियासत में यह चर्चा जोरों पर थी कि चिराग पासवान बीजेपी से अलग होकर नया समीकरण बना सकते हैं। नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के बाद कई विश्लेषकों ने दावा किया था कि चिराग की भूमिका “विभीषण” जैसी हो सकती है — यानी अंदर से असंतुष्ट नेता जो बगावत कर सकता है।

“तीन मुद्दों” पर चिराग की नाराजगी

बीते कुछ महीनों में चिराग पासवान ने तीन प्रमुख मुद्दों पर केंद्र सरकार से असहमति जताई थी, जिससे राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा और तेज हुई थी कि वे बीजेपी से नाराज हैं —

  1. कोटे में कोटा (OBC में आरक्षण विभाजन) को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध किया।
  2. लेटरल एंट्री से UPSC भर्ती की प्रक्रिया पर सवाल उठाए और इसे “युवा विरोधी” बताया।
  3. दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का उन्होंने समर्थन किया।

बता दें कि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान अब पूरी तरह से एनडीए की मुख्य धारा में लौट आए हैं। अमित शाह से मुलाकात और मोदी के प्रति सार्वजनिक समर्थन ने यह साबित कर दिया है कि वे बिहार की सियासत में “किंगमेकर” की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

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