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नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट (Serum Institute Of India) की वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) को भारत में इमरजेंसी यूज की अनुमति दे दी गई है. इस पर फैसला ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए विशेष पैनल ने लिया है. केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर एक विशेषज्ञ समिति ऑक्सफोर्ड के कोरोना वायरस रोधी टीके कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने के लिए सिफारिश करने की तैयारी में है. ब्रिटेन में इस वैक्सीन को इमरजेंसी यूज की अनुमति मिलने के बाद माना जा रहा था कि भारत में भी इसकी अनुमति दी जा सकती है. सीरम इंस्टिट्यूट ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में पार्टनर है और देश में इसे वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से बेचेगी.

गौरतलब है कि ब्रिटेन दुनिया का पहला देश है जिसने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की अनुमति दे दी है. भारत में सीरम इंस्टिट्यूट पहले ही इस वैक्सीन के 5 करोड़ डोज तैयार कर चुकी है.

कम तापमान पर रखना है सबसे बड़ी खूबी
भारत के लिए कोविशील्ड वैक्सीन के ज्यादा मुफीद होने के कई कारण हैं. पहला तो ये कि Pfizer की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रीज करके रखना है जिसके लिए फ्रीजर की व्यवस्था करना भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी. वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए भी डीप फ्रीजर की आवश्यकता होगी. लेकिन ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को सामान्य फ्रीज में रखा जा सकता है.

बड़े स्तर पर वैक्सीन की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी
दूसरा सकारात्मक पहलू ये है कि भारत जैसे बड़े देश में टीकाकरण के लिए बहुत बड़े स्तर पर प्रोडक्शन की आवश्यकता होगी. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक के रूप में सीरम इंस्टिट्यूट इसमें बेहद मददगार साबित हो सकता है. कंपनी का कहना है कि वह मार्च महीने तक तकरीबन दस करोड़ डोज तैयार कर लेगी. गौरतलब है कि भारत में कोरोना के पहले फेज के वैक्सिनेशन में तकरीबन 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जाना है.

अपेक्षाकृत कम होगी कीमत
सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ये भी साफ कर चुके हैं कि वर्तमान में बने तकरीबन सभी डोज भारत के लिए ही इस्तेमाल किए जाएंगे. वहीं इस वैक्सीन की तीसरी खासियत पैसे भी हैं. नवंबर में एक इंटरव्यू में पूनावाला कह चुके हैं कि वैक्सीन के दोनों डोज की कीमत एक हजार रुपए से कम रखी जाएगी.

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