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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है। अबूझमाड़ के घने जंगलों में बुधवार सुबह से चल रही इस मुठभेड़ में अब तक 30 से अधिक माओवादी मारे जा चुके हैं। हालांकि इस कार्रवाई में देश ने एक बहादुर जवान को भी खो दिया, जो मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गया। यह अभियान अभी भी जारी है और सुरक्षाबलों को इसमें और सफलता मिलने की संभावना जताई जा रही है।

हम आपको बता दें कि, यह भीषण मुठभेड़ नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के जाटलूर इलाके में हुई, जो कि माओवादियों का गढ़ माना जाता है। बुधवार सुबह सुरक्षाबलों को गुप्त सूचना मिली थी कि माओवादी माड़ डिवीजन के शीर्ष कैडर के साथ इस इलाके में छिपे हुए हैं। इसी सूचना के आधार पर जिला रिजर्व गार्ड (DRG) की संयुक्त टीम ने अभियान शुरू किया।

वही, इस ऑपरेशन में DRG नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव की टीमें शामिल थीं। जाटलूर क्षेत्र के गहन जंगलों में यह मुठभेड़ हुई, जहां माओवादियों की भारी मौजूदगी की आशंका पहले से थी।

30 से अधिक नक्सली ढेर

अब तक मिली जानकारी के अनुसार, सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 30 से अधिक माओवादी मारे गए हैं। इनमें कई वांछित और वरीयता प्राप्त कैडर शामिल हो सकते हैं। हालांकि, मारे गए माओवादियों की पहचान अभी तक आधिकारिक रूप से नहीं हो पाई है। मुठभेड़ स्थल से बड़ी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।

एक जवान की शहादत

दुख कब बात है कि,इस मुठभेड़ में एक बहादुर जवान शहीद हो गया, जिसकी पहचान और नाम अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। जवान की शहादत को लेकर सुरक्षाबलों में शोक की लहर है, वहीं उनकी बहादुरी की सराहना पूरे देश में हो रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा बलों ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें माओवादियों के बड़े जमावड़े की सूचना मिली थी। इस पर तुरंत प्रतिक्रिया करते हुए संयुक्त ऑपरेशन चलाया गया। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ अभी भी जारी है और सर्च ऑपरेशन चल रहा है। सुरक्षाबल पूरी सतर्कता से क्षेत्र की घेराबंदी कर रहे हैं ताकि कोई भी माओवादी भाग न सके।

अबूझमाड़: माओवादियों का गढ़

अबूझमाड़ का इलाका दशकों से माओवादियों की गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहां की भौगोलिक स्थिति, घने जंगल और दुर्गम क्षेत्र माओवादियों को छिपने और रणनीति बनाने में मदद करते हैं। यही कारण है कि यह क्षेत्र लंबे समय से सुरक्षाबलों के लिए एक चुनौती बना हुआ है। हालांकि, हाल के वर्षों में सुरक्षाबलों ने इस क्षेत्र में कई बड़ी सफलताएं हासिल की हैं।

सरकार की सख्त नीति

छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है। राज्य और केंद्र सरकार दोनों मिलकर माओवादियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए सामरिक और तकनीकी सहायता दे रही हैं। हाल के वर्षों में सुरक्षाबलों की कार्यवाही और खुफिया सूचना प्रणाली में सुधार से माओवादी संगठनों को भारी नुकसान हुआ है।

माओवादियों के लिए बड़ा झटका

यह मुठभेड़ माओवादियों के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है। माड़ डिवीजन के कैडर की उपस्थिति यह दर्शाती है कि इस इलाके में कोई बड़ी योजना बनाई जा रही थी, जिसे सुरक्षाबलों ने समय रहते विफल कर दिया। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस अभियान से माओवादियों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा और आने वाले समय में उनकी गतिविधियों में गिरावट आ सकती है।

वही, देश भर में इस मुठभेड़ की खबर फैलते ही शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर आम नागरिकों से लेकर नेताओं तक सभी ने इस वीर सपूत को नमन किया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने भी इस अभियान की सराहना की और जवान की शहादत को सलाम किया।

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