नई दिल्ली। लोकसभा में आज ऑपरेशन सिंदूर पर होने वाली चर्चा एक बार फिर विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। दोपहर 1 बजे के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, लेकिन विपक्षी सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) और अन्य मुद्दों पर नारेबाजी जारी रखी। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष को चेतावनी दी कि अगर वे चर्चा चाहते हैं, तो उन्हें अपनी सीटों पर लौटना होगा और नियमों का पालन करना होगा। हालांकि, उनके बोलने का भी कोई असर नहीं हुआ यही वजह रही कि हंगामा न रुकने पर सदन को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष की मांग और सरकार का रुख
विपक्ष, खासकर कांग्रेस, ऑपरेशन सिंदूर और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रहा है। वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के दावों पर सरकार से जवाब चाहते हैं। कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि विपक्ष शुरू से मानता है कि सीजफायर की प्रक्रिया में किसी अन्य देश के राष्ट्रपति की भूमिका संदेह को जन्म देती है। दूसरी ओर, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से भाग रहे हैं, जबकि सरकार हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है।
चर्चा में कौन-कौन शामिल होगा?
सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करेंगे, जबकि गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर व निशिकांत दुबे भी हिस्सा ले सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी बहस में हस्तक्षेप करने की संभावना है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई चर्चा शुरू कर सकते हैं, लेकिन शशि थरूर ने इस बहस में बोलने से इनकार कर दिया है।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का बैकग्राउंड
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे, जिसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। सरकार इसे 100% सफल मानती है, लेकिन विपक्ष खुफिया और सुरक्षा चूक पर सवाल उठा रहा है।
क्या पक्ष-विपक्ष के बीच सहमति बनेगी?
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे की चर्चा के लिए समय निर्धारित किया गया है। मंगलवार (29 जुलाई) को राज्यसभा में इस मुद्दे पर बहस होनी है। हालांकि, विपक्ष के रवैये और बिहार SIR जैसे अन्य मुद्दों पर हंगामे को देखते हुए संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। मॉनसून सत्र 21 अगस्त तक चलेगा, और सभी की नजरें इस बात पर हैं कि क्या पक्ष-विपक्ष के बीच सहमति बन पाएगी।