महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों हनीट्रैप, जासूसी और फोन टैपिंग जैसे गंभीर आरोपों की चपेट में है। राज्य की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार (महायुति) के भीतर उठे विवाद ने अब मंत्रियों की निजता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने एक सनसनीखेज दावा किया है कि राज्य सरकार के कई मंत्री जासूसी के डर से अपने मोबाइल फोन बंद कर रहे हैं। इस दावे ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
फोन टैपिंग के आरोप शिवसेना (यूबीटी) के इस दावे के बीच सामने आए हैं कि मंत्रिमंडल में फेरबदल होने वाला है और कम से कम पांच से छह मंत्रियों को बर्खास्त किया जा सकता है, जिनमें से अधिकांश एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के हैं।
महाराष्ट्र में कुछ समय पहले भी जासूसी और हनीट्रैप को लेकर चर्चा रही है। राजनीतिक नेताओं और अफसरों के निजी जीवन में दखल देने के आरोप पहले भी लगे हैं। हालांकि, अब जब मंत्रियों द्वारा खुद फोन बंद करने की बातें सामने आ रही हैं, तो यह संकेत मिलते हैं कि मामला केवल अफवाह नहीं हो सकता।
हालांकि रोहित पवार ने अपने बयान में साफ किया है कि वो ‘आने वाले दिनों में बताएंगे कि ये सच है या सिर्फ अफवाह’, लेकिन वर्तमान में यह मामला महाराष्ट्र की राजनीति को एक बार फिर केंद्र में ले आया है। क्या मंत्रियों की सुरक्षा व निजता खतरे में है? क्या यह एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति है या कोई असल साजिश?
