मुंबई। आज बात एक ऐसी अभिनेत्री की, जो रातोंरात ‘नेशनल क्रश’ बन गईं, लेकिन जिसकी चमक के पीछे छिपी है डिजिटल दुनिया की वह काली सच्चाई, जो न सिर्फ एक इंसान की जिंदगी को त्रस्त कर रही है, बल्कि पूरे समाज की नैतिकता पर सवाल खड़े कर रही है। गिरिजा ओक गोडबोले – नाम सुना होगा आपने? अगर नहीं, तो सोशल मीडिया की बाढ़ में बहते हुए आपने शायद उनकी ब्लू साड़ी वाली तस्वीरें तो देख ही ली होंगी। लेकिन आज हम उन तस्वीरों के पीछे की पीड़ा की बात करेंगे, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नाम पर फैलाई जा रही है।
कल्पना कीजिए, एक साधारण इंटरव्यू। गिरिजा ओक, जो मराठी सिनेमा की जाना-मानी अभिनेत्री हैं, ‘जवान’ फिल्म में शाहरुख खान के साथ नजर आईं, और हाल ही में एक प्रोमोशनल वीडियो में ब्लू साड़ी पहने मुस्कुराती हुईं। बस, यही काफी था। इंटरनेट की आग में ये क्लिप जल्दी ही वायरल हो गई। लोग उन्हें ‘ब्लू साड़ी वुमन’ कहने लगे, मीम्स बने, तस्वीरें शेयर हुईं। लाखों लाइक्स, रीपोस्ट्स। लेकिन जहां एक तरफ प्रशंसा की बौछार थी, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग – या शायद बहुत सारे लोग – ने एआई की ताकत का इस्तेमाल कर उन्हें निशाना बनाना शुरू कर दिया। मोर्फ्ड इमेजेस, वीडियोज, जो न सिर्फ उनकी सूरत बदलते हैं, बल्कि उन्हें सेक्शुअलाइज करते हैं, ऑब्जेक्टिफाई करते हैं। गिरिजा ने खुद कहा है – “ये बेहद खराब हैं, मुझे परेशान कर रहे हैं।
अब सोचिए, ये क्या हो रहा है हमारे साथ? एआई, जो कभी कल्पना का चमत्कार था – मशीनें जो इंसानों जैसी सोचेंगी, मदद करेंगी – आज उसी की आड़ में प्राइवेसी का कत्ल हो रहा है। गिरिजा ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो डाला, नमस्ते कहते हुए। सरल शब्दों में। “मेरी कुछ तस्वीरें एआई से छेड़छाड़ की गई हैं। अच्छी नहीं लग रही। कुछ वीडियोज भी हैं, जो बेहद खराब हैं।” लेकिन सबसे दिल दहला देने वाली बात? उन्होंने अपने 12 साल के बेटे का जिक्र किया। “कुछ सालों बाद जब वो बड़ा होगा, और ये सब देखेगा, तो उसे कैसा लगेगा? ये डरावना है।” एक मां की आवाज, जो सिर्फ अपनी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी की चिंता कर रही है। क्या हमारा समाज इतना संवेदनहीन हो गया है कि एक महिला की मुस्कान को हथियार बना ले?
रिसर्च बताती है कि ये कोई अकेली घटना नहीं। एआई टूल्स जैसे मिडजर्नी या स्टेबल डिफ्यूजन आज हर किसी के हाथ में हैं। एक क्लिक पर कोई भी इमेज जेनरेट कर सकता है। लेकिन कानून? वो अभी भी सो रहा है। भारत में आईटी एक्ट के तहत साइबरबुलिंग पर कार्रवाई हो सकती है, लेकिन एआई-जनरेटेड कंटेंट पर स्पष्ट गाइडलाइंस की कमी है। गिरिजा ने अपील की – क्रिएटर्स से, कंज्यूमर्स से। “इसे एंडोर्स न करें। ये गलत है।” और सोशल मीडिया पर रिएक्शन? मिश्रित। कुछ लोग सपोर्ट कर रहे हैं – “ये हैरासमेंट है, न कि फैनडम।”
एक यूजर ने लिखा, “गिरिजा जी, आपकी मैच्योरिटी दुर्लभ है। नेक्स्ट जेनरेशन के लिए सोचना सच्ची लीडरशिप है। लेकिन कुछ तो हंस रहे हैं, कह रहे हैं “ये तो बस मीम्स हैं”। मीम्स? या एक महिला की गरिमा का अपमान?
ये वायरल होना का दूसरा चेहरा है। जहां एक तरफ गिरिजा को नई पहचान मिली – ‘इंस्पेक्टर जेंडे’ वाली अभिनेत्री, जो ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स’ जैसी सीरीज में चमकीं – वहीं दूसरी तरफ ये डर। डर कि कल किसी और की बारी न आ जाए। आपकी बहन, बेटी, पड़ोस की लड़की। एआई का दुरुपयोग सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि साइबरबुलिंग का नया हथियार है। विशेषज्ञ कहते हैं कि 2025 तक ऐसे केसेज दोगुने हो जाएंगे, अगर हम चुप रहे।
तो सवाल ये है – क्या हम एआई को दास बनाएंगे, या ये हमें गुलाम? गिरिजा ओक की ये आवाज एक चेतावनी है। आज गिरिजा ओक है कल इसका कौन शिकार होगा कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में जब तक कोई कठोर कानून के जरिए निगरानी नहीं होती है आप स्वयं औऱ परिवार का ध्यान रखें।
